खंडवा में डॉक्टर की लापरवाही से उजड़ गया गरीब दलित परिवार – ऑपरेशन के बाद दोनों पैर काटने की नौबत, अस्पताल प्रशासन ने दिखाई बेरुख़ी

एक गरीब दलित महिला मामूली पेट दर्द के इलाज के लिए अस्पताल पहुँची... लेकिन ऑपरेशन के बाद उसकी दोनों टांगें काटने की नौबत आ गई। डॉक्टर की लापरवाही, अस्पताल की बेरुख़ी और सिस्टम की चुप्पी ने उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर दी। जानिए वो दर्दनाक सच्चाई जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी। Khabarbharatnews.live

खंडवा में डॉक्टर की लापरवाही से उजड़ गया गरीब दलित परिवार – ऑपरेशन के बाद दोनों पैर काटने की नौबत, अस्पताल प्रशासन ने दिखाई बेरुख़ी

खंडवा, मध्यप्रदेश।

मध्यप्रदेश के खंडवा ज़िले में चिकित्सा जगत को शर्मसार करने वाला एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ एक गरीब दलित महिला की ज़िंदगी तबाह कर दी, बल्कि इंसानियत पर भी गहरा सवाल खड़ा कर दिया। मामूली पेट दर्द के इलाज के लिए अस्पताल गई महिला आज जिंदगी और मौत से जूझ रही है — डॉक्टर की कथित लापरवाही और अस्पताल की संवेदनहीनता ने उसकी दोनों टांगें काटने की नौबत ला दी।

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(पीड़ित महिला ज्योति मनोज ओसवाल)

पेट दर्द से शुरू हुआ दुःस्वप्न — ऑपरेशन के बाद लाचारी

रोशनई (चिनाई रोजड़ी) गांव की रहने वाली ज्योति ओसवाल, एक अनुसूचित जाति की महिला है, जिसका परिवार दिहाड़ी मजदूरी कर जैसे-तैसे अपना गुज़ारा करता है। बीते दिनों पेट में दर्द की शिकायत के बाद ज्योति को खंडवा के इंदौर रोड स्थित संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

यहां डॉक्टर वाजिद कुरैशी ने जांच के बाद यह कहकर तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी कि उसकी एक किडनी फेल हो चुकी है और उसमें पानी भर गया है। परिवार ने किसी तरह 60 हजार रुपये जुटाकर ऑपरेशन करवाया — जिसमें 40 हजार ऑपरेशन और 20 हजार जांच में खर्च हुए।

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(खंडवा के संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल में ऑपरेशन के बाद काले पढ़े पीड़िता के पैर)

ऑपरेशन के अगले दिन पैर हुए सुन्न, काले पड़ने लगे — MRI में देरी से खुला राज़

ऑपरेशन 21 मई को हुआ। परिजनों के अनुसार, ऑपरेशन के अगले ही दिन महिला के दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया। टांगों पर काले धब्बे पड़ने लगे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसे हल्के में लिया और MRI जैसी जरूरी जांच में जानबूझकर देरी की। जब स्थिति बिगड़ गई तो आनन-फानन में मरीज को इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया।

वहां डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से बताया कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही से ब्लड सर्कुलेशन बंद हो गया, और अब महिला के दोनों पैरों को काटना पड़ेगा।

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(संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल का डॉक्टर शेख वाजिद जिसके ऑपरेशन करने सें महिला हुई विकलांग)

“भलाई” का दिखावा — दो हज़ार थमा कर एम्बुलेंस से भेजा मरीज

जब परिजन और गांव के सरपंच राज ढाकसे संत रिचर्ड हॉस्पिटल पहुंचे और डॉक्टर से जवाब माँगा, तो अस्पताल प्रबंधन ने मिलने से ही इंकार कर दिया। उल्टा, डॉक्टर ने दो हज़ार रुपये महिला के पति को थमाए और 40 किमी दूर मुंदी सें अपने भाई के चरक हॉस्पिटल की एम्बुलेंस बुला कर "मानवता" का दिखावा किया।

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पुलिस थाने में शिकायत, मगर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं

परिजन पदमनगर थाने पहुंचे और डॉ. वाजिद कुरैशी और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। पुलिस ने जाँच का भरोसा तो दिया, लेकिन पीड़ित परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला।

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(पदम नगर थाने शिकायत करने पहुचे महिला के पति मनोज ओसवाल एवं परिजन)

डॉक्टर का बचाव — दुर्लभ बीमारी की दुहाई

डॉ. वाजिद कुरैशी ने खुद को बचाते हुए कहा —

 “हमने सभी कागज़ात पर मरीज के परिजनों से दस्तखत लिए थे। महिला को ‘एवंटिक थ्रोम्बोसिस’ नामक दुर्लभ रक्त विकार था, जिसके कारण ऐसी स्थिति बनी। हम पर कोई आरोप नहीं है।”

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गरीबी, जाति और लापरवाही का त्रिकोण — मानवता हुई शर्मसार

ज्योति के पति मनोज ओसवाल का कहना है —

 “हमने रिश्तेदारों और गांव से कर्ज लेकर इलाज कराया। अब डॉक्टर कहते हैं कि यह ‘कभी-कभी हो जाता है’। क्या यही हाल किसी अमीर की बेटी का होता?”

यह घटना सिर्फ एक चिकित्सा लापरवाही नहीं है — यह सामाजिक संवेदनहीनता, जातिगत भेदभाव और निजी अस्पतालों की लूट का नग्न उदाहरण है।

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परिजनों की माँग — न्यायिक जांच, लाइसेंस रद्द, मुआवज़ा और कड़ी कार्रवाई

पीड़ित परिवार, गांव के लोग और सामाजिक संगठनों ने की माँग:

✅ डॉक्टर की डिग्री और प्रैक्टिस लाइसेंस की जांच की जाए

✅ संत रिचर्ड हॉस्पिटल की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो

✅ मामले की न्यायिक जांच कर दोषियों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज हो

✅ पीड़ित महिला को पर्याप्त मुआवज़ा, पुनर्वास और जीवनभर का सरकारी इलाज मिले

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अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो अगला नंबर किसका?

यह मामला एक चेतावनी है कि अगर लापरवाही और अमानवीयता के इस कुचक्र को अब भी नहीं रोका गया, तो अगली बार किसी और गरीब की ज़िंदगी बर्बाद होगी। जरूरत है प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल काउंसिल की तत्काल और सख्त कार्रवाई की।

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✍ रिपोर्ट: खबर भारत न्यूज़ | KhabarBharatNews.Live

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