Video: यहां स्कूल में हाथ जोड़ कर प्रार्थना करना मना है , जानें क्या है पूरा मामला

जहां प्रार्थना के समय हाथ जोड़ना मना है। स्कूली बच्चों के प्रार्थना के समय हाथ जोड़ने पर रोक क्यों और किसने लगाई है और वह कौन सा स्कूल है। जहां यह अजीब फरमान का पालन कराया जा रहा है आइए आपको बताते हैं।

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भारत में वर्षों से स्कूलों में पहले काल खंड में प्रार्थना करने का नियम चला आ रहा है। आप और हम भी जब स्कूल में पढ़ते थे तो सुबह शाला में पढ़ाई की शुरुआत से पहले प्रार्थना कराई जाती थी जिसमे हाथ जोड़ कर प्रार्थना सभी लोग करते आए हैं। भारत में चले आ रहे लगभग सभी शिक्षण संस्थानों में प्रार्थना भी एक जरूरी अंग रहा है। प्रार्थना के समय सभी बच्चे हाथ जोड़कर प्रार्थना करते आए है परंतु आज कल एक नया फरमान शुरू हुआ है और यह फरमान जारी हुआ है झारखंड राज्य के गढ़वा जिले के एक स्कूल में जहां प्रार्थना के समय हाथ जोड़ना मना है। स्कूली बच्चों के प्रार्थना के समय हाथ जोड़ने पर रोक क्यों और किसने लगाई है और वह कौन सा स्कूल है। जहां यह अजीब फरमान का पालन कराया जा रहा है आइए आपको बताते हैं।

झारखंड के गढ़वा जिला में एक स्कूल है कोरवाडीह। जहां पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में होने वाली प्रार्थना के समय हाथ नही जोड़ते है। दरअसल ना इस प्रकार का कोई फैसला शाला प्रबंधन समिति ने लिया है और ना ही सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है। जिसमे बच्चो के शाला में प्रार्थना के समय हाथ जोड़ने पर रोक लगाई गई हो। परंतु यहां के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों ने अपनी आबादी ज्यादा होने के कारण बताते हुए अपने बच्चो के प्रार्थना के समय हाथ जोड़ने से मना कर दिया है क्योंकि उनके धर्म में हाथ जोड़ना मना है। आपको बता दे इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में अधिकतर संख्या मुस्लिम समुदाय के बच्चों की है और उनके पालकों की कट्टरपंथी सोच के कारण यहां लंबे समय से शाला में होने वाली प्रार्थना में हाथ जोड़ना मना है। 

रांची के गढ़वा जिले के कोरवा पंचायत के इस सरकारी स्कूल में मुस्लिम तुष्टिकरण सीधे सीधे नजर आता है। इस मामले में भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही द्वारा झारखंड के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो से इस मसले पर की गयी शिकायत और अखबारों में छपी खबर पर संज्ञान लेते हुए मंत्री महतो ने इस मसले पर गढ़वा डीसी और एसपी से बात कर उनसे इस पर कार्रवाई करने को कहा गया है। भानु प्रताप शाही ने इससे संबंधित जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते कहा कि यह एक स्कूल का विषय मात्र नहीं है बल्कि समाज को तोड़ने वाली शक्ति का काम है। यहां चली आ रही शिक्षण पद्धति को लोगों ने सिर्फ इसलिए बदलवा दिया क्योंकि यहां मुस्लिम आबादी लगभग 75 प्रतिशत है। इस मामले को लेकर विपक्षी दल भाजपा ने अपना विरोध दर्ज करवाया है। 

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम रघुवर दास, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी समेत कई नेताओं ने सरकारी स्कूल में तुष्टिकरण के आधार पर नियम बदले जाने पर नाराजगी जतायी है। सोशल मीडिया पर रघुवर ने लिखा भी है कि राज्य में तुष्टिकरण का बीज बोया जा रहा है, यह उसी का फल है। लोकतंत्र में इस तरह की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं है। उन्होंने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उनके अनुसार सरकारी स्कूलों में ऐसा करने की छूट दी गई तो जहाँ जिस धर्म, मजहब के लोग अधिक होंगे वे अपने हिसाब से सबकुछ तय करने लगेंगे। सीएम हेमंत सोरेन से उन्होंने ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की भी अपील की है।

यहां चलते है इनके नियम

गौरतलब है कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोरवाडीह में वर्षों से चली आ रही प्रार्थना के नियम को बदलने की मांग मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों ने की है। स्कूल के प्रधानाध्यापक पर दबाव डालते हुवे कहा कि उनकी आबादी स्थानीय स्तर पर 75 फीसदी है। ऐसे में प्रार्थना के और दूसरे नियम उनके अनुसार बनें. इसके बाद से स्कूल में प्रार्थना के दौरान गाये जाने वाले गीत दया का दान कर विद्या का को हटा दिया गया है। इसकी जगह पर तू ही राम है, तू रहीम है शुरू कर दिया गया है। साथ ही प्रार्थना के दौरान बच्चों को हाथ जोडने से भी मना कर दिया गया है। इस विवाद के बढ़ने के बाद इसकी जानकारी प्रधानाध्यापक युगेश राम ने स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दे दी है। अब देखना होगा झारखंड सरकार कब तक इस मामले पर कार्रवाई करती है।