बिना बछड़ा दिए दूध दे रही है यह गाय, ग्रामीणों में कौतूहल का विषय

ओंकारेश्वर के सिद्धवरकुट में स्थित गणपति-हनुमान मंदिर में गाय बिना बछड़ा दिए ही दूध दे रही है। दूध भी थोड़ा नहीं बल्कि एक बच्चे वाली गाय की तरह दो से तीन लीटर सुबह शाम। यह गाय ग्रामीणों में कौतूहल का विषय बनी हुई है। पौरोणिक काल में जरूर कामधेनू का किस्सा मिलता है, जोकि इच्छानुसार दूध देती थी, किन्तु यह गाय भी कुछ ऐसा ही कमाल दिखा रही है।

बिना बछड़ा दिए दूध दे रही है यह गाय, ग्रामीणों में कौतूहल का विषय
बिना बछड़ा दिए दूध दे रही है यह गाय, ग्रामीणों में कौतूहल का विषय
बिना बछड़ा दिए दूध दे रही है यह गाय, ग्रामीणों में कौतूहल का विषय

ओंकारेश्वर - ओंकारेश्वर के सिद्धवरकुट क्षैत्र से एक ऐसी खबर पर आई है, जिस पर सहज ही विश्वास करना कठिन है। वह यह है कि एक ऐसी करिश्माई गाय मिली है,जोकि बछड़े-बछड़ी को जन्म दिए बगैर ही दूध दे रही है। पौरोणिक काल में जरूर कामधेनू का किस्सा मिलता है, जोकि इच्छानुसार दूध देती थी, किन्तु यह गाय भी कुछ ऐसा ही कमाल दिखा रही है। इसका यह चमत्कार देख कर सब आश्चर्यचकित हैं।

 

दोनों वक्त 3 लीटर दूध

 

इस अनहोनी घटना का मामला सामने आया है ओंकारेश्वर बाँध के पास स्थित गणपति-हनुमान मंदिर आश्रम में।यहां की गाय बछड़े को जन्म दिये बगैर बछड़े वाली गाय की तरह दूध दे रही है। दूध भी थोड़ा-बहुत नहीं बल्कि पूरा 3 लीटर के करीब। सुबह देढ़ लिटर शाम में देढ़ लीटर तक दूध दे रही है। इस गाय की अनुपम महिमा के चलते यह दर्शनीय हो गई है। यह गाय अब ग्रामीणों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है। जैसे-जैसे इसकी ख्याति बढ़ती जा रही है, इसके दर्शन करने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

 

गौपालक ने बताया इसे गौ सेवा का प्रताप

 

गौपालक ईश्वरानंद भारती ने बताया कि यह ईश्वरीय चमत्कार हैं जो बिन ब्याही बिना केडा-केडी को जन्म दिए बगैर ही यह दोनों टाईम दुध दे रही हैं।यह गौ सेवा का ही प्रताप हैं।पुराणों में एसी गौमाता को कामधेनू गाय कहा गया हैं।