खंडवा की निर्भया: 45 वर्षीय आदिवासी महिला के गैंगरेप और मौत ने झकझोरा, सिस्टम की संवेदनहीनता पर उठा बड़ा सवाल

खंडवा के खालवा क्षेत्र में 45 वर्षीय आदिवासी महिला के साथ गैंगरेप और मौत ने पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता को उजागर किया। इलाज में लापरवाही, एम्बुलेंस की अनुपलब्धता और पोस्टमार्टम में देरी जैसे सवालों ने जनआक्रोश बढ़ा दिया है। पढ़ें पूरी खबर।

खंडवा की निर्भया: 45 वर्षीय आदिवासी महिला के गैंगरेप और मौत ने झकझोरा, सिस्टम की संवेदनहीनता पर उठा बड़ा सवाल

खंडवा (मध्यप्रदेश):

खंडवा जिले के खालवा थाना क्षेत्र की एक आदिवासी महिला के साथ हुई गैंगरेप की वीभत्स घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला कर रख दिया है। 45 वर्षीय पीड़िता के साथ दो सजातीय युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया और कथित रूप से शारीरिक यातना दी, जिसके चलते उसकी दर्दनाक मौत हो गई। इस मामले ने न सिर्फ पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना की शुरुआत: शादी से शराब तक और फिर हैवानियत

शुक्रवार रात, पीड़िता अपने गांव में एक शादी समारोह में शामिल हुई थी। बताया जा रहा है कि समारोह के बाद वह एक अन्य महिला को घर छोड़ने हरि नामक युवक के साथ गई थी। देर शाम वह हरि के घर लौटी, जहां सुनील नामक युवक भी पहुंच गया। गांव वालों के अनुसार तीनों ने शराब पी।

अगली सुबह जब हरि की मां उठी, तो महिला उनके आंगन में खून से लथपथ हालत में बैठी मिली। आनन-फानन में परिजनों को सूचना दी गई और महिला को घर लाया गया। पीड़िता ने मरने से पहले परिजनों को बताया कि हरि और सुनील ने उसके साथ जबरदस्ती की और उसके गुप्तांग से अत्यधिक खून बह रहा था।

राड प्रकरण पर फिलहाल विवाद, लेकिन मौत की वजह गंभीर

शुरुआती दावों में यह बात सामने आई थी कि पीड़िता के गुप्तांग में लकड़ी या रॉड डाली गई, जिसे निर्भया कांड जैसी क्रूरता बताया जा रहा था। हालांकि, खंडवा के एडिशनल एसपी राजेश रघुवंशी ने बयान देते हुए कहा कि फिलहाल रॉड जैसी कोई वस्तु नहीं पाई गई है, लेकिन गैंगरेप और पेट में लात मारने की पुष्टि हुई है। पुलिस के मुताबिक, आंतरिक चोटों और अत्यधिक खून बहने से महिला की मौत हुई।

स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुली, एम्बुलेंस ‘खराब’ निकली

यह घटना केवल एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक अपराध भी बन गई है। परिजनों ने बताया कि शनिवार दोपहर 3 बजे महिला को ट्रैक्टर-ट्रॉली से रोशनी के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर पेनल पोस्टमार्टम के लिए खंडवा रेफर कर दिया। लेकिन वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने यह कहते हुए एम्बुलेंस देने से मना कर दिया कि "वह खराब है"।

एक गरीब परिवार के पास कोई चारा नहीं था, उन्होंने 4000 रुपये में निजी वाहन किराए पर लिया और 75 किलोमीटर दूर खंडवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल रात 11. 30 बजे पहुंचे। लेकिन पोस्टमार्टम अगली दोपहर तक नहीं हुआ। क्या एक जीवन को समय पर उपचार मिल सकता था? क्या महिला की जान बच सकती थी? ये सवाल अब जनमानस को झकझोर रहे हैं।

पुलिस ने दोनों आरोपियों को किया गिरफ्तार

पुलिस ने हरि और सुनील को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपी पीड़िता के परिचित थे और गांव में पास में ही रहते थे। इनके खिलाफ बलात्कार और हत्या की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। आगे की कार्रवाई के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने ऑफ कैमरा यह स्वीकार किया है कि पीड़िता का यूट्रेस (गर्भाशय) गायब है, जो मामले को और भी संदिग्ध बना रहा है।

मेडिकल बोर्ड का इनकार, सवाल और गहराए

सूत्रों के अनुसार, मेडिकल बोर्ड ने शॉर्ट पीएम रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की इस चुप्पी ने पीड़िता की मौत को और भी रहस्यमय बना दिया है।

सियासत भी गरमाई – विपक्ष का हमला

घटना के बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने वीडियो जारी कर सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए।

पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव ने बयान दिया – "यह सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल है।"

वहीं पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ट्वीट करते हुए कहा – “प्रदेश में जंगलराज और आदिकाल जैसे हालात बन चुके हैं।”

क्या समय पर इलाज मिलता तो बच जाती महिला?

एक आदिवासी महिला…

जो एक शादी में गई थी…

जिसकी चीखें शायद जंगलों और खेतों तक सीमित रह गईं…

जिसे दर्द हुआ, पर एम्बुलेंस नहीं मिली…

जिसे खून बहता रहा, पर अस्पताल में समय पर इलाज नहीं मिला…

यह केवल बलात्कार नहीं था – यह सिस्टम की सामूहिक असंवेदनशीलता का अपराध था।

अब सवाल जनता का है:

क्या दोषियों को सख्त सजा मिलेगी?

क्या स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार होगा?

क्या आदिवासी अंचलों की महिलाओं की सुरक्षा की कोई गारंटी होगी?

या फिर…

एक और निर्भया… इस सिस्टम के गड्ढों में खो जाएगी…?