खंडवा: दलित महिला की मौत के बाद हॉस्पिटल में तोड़फोड़

खंडवा में ऑपरेशन के बाद दलित महिला की मौत, इलाज में लापरवाही का आरोप। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में की तोड़फोड़, जांच में देरी से नाराज़गी।

खंडवा: दलित महिला की मौत के बाद हॉस्पिटल में तोड़फोड़

 खंडवा में डॉक्टर की लापरवाही से दलित महिला की मौत – अस्पताल में परिजनों का बवाल, कांच तोड़कर जताया गुस्सा

लोकेशन: खंडवा, मध्यप्रदेश | दिनांक: 17 जून, 2025

खंडवा – मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां इलाज के नाम पर की गई कथित लापरवाही के चलते एक गरीब दलित महिला की जान चली गई। मृतका के परिजनों ने मंगलवार को खंडवा के इंदौर रोड स्थित संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल में जबरदस्त तोड़फोड़ और प्रदर्शन किया।

(मृतका के परिजनों द्वारा आवेश में आकर संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल में कि गई तोड़फोड़ में टुटा हुआ कांच)

गुस्साए लोगों ने अस्पताल की खिड़कियों और कांच को चकनाचूर कर दिया। पूरे घटनाक्रम के दौरान अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर SDM बजरंग सिंह बहादुर, CSP अभिनव बारंगे, और तीन थाना क्षेत्रों की पुलिस फोर्स ने पहुंचकर हालात को काबू में किया।

 (मृतिका ज्योति ओसवाल का इंदौर के अस्पताल में इलाज के दौरान लिया गया फोटो)

कैसे शुरू हुआ ये दर्दनाक मामला?

21 मई को गांव रोशनाई की दलित महिला ज्योति ओसवाल को पेट दर्द की शिकायत पर परिजनों ने संत रिचर्ड हॉस्पिटल में भर्ती कराया। यहां के सर्जन डॉ. वाजिद कुरैशी ने जांच के बाद बताया कि महिला की एक किडनी खराब है और तत्काल ऑपरेशन कर ख़राब किडनी निकालना जरूरी है।

(डॉक्टर शेख वाजिद, जिसने महिला कि किडनी ऑपरेशन कर निकली थी, परिजनों का आरोप हैँ कि इनके द्वारा आपरेशन में कि गई गलती सें ज्योति कि मौत हुई)

ज्योति के परिजनों ने रिश्तेदारों से उधार लेकर करीब 60,000 रुपए खर्च कर ऑपरेशन कराया। लेकिन ऑपरेशन के बाद महिला के दोनों पैरों में रक्त संचार रुक गया। लम्बे समय तक अस्पताल प्रबंधन ने सच्चाई छिपाई और MRI आदि जाँच में देरी की। जब मामला बिगड़ा तो महिला को डॉक्टर शेख वाजिद ने अपने बड़े भाई के खंडवा सें 40 किमी दूर मुंदी स्थित निजी हॉस्पिटल कि एम्बुलेंस बुला कर पंपुरी हॉस्पिटल के काउंटर सें 2 हजार रूपये दिलवा कर इंदौर रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने जाँच आदि करने के बाद ज्योति के दोनों पैर काटने की जरूरत बताई।

पैर कटवाए फिर भी नहीं बची जान

 ज्योति क़ो इलाज के लिए इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था जहाँ उसके दोनों पैर डॉक्टर द्वारा काटने के बाद कुछ समय और वह हॉस्पिटल के सर्जिकल वार्ड में भरती रही उसके पहले भी उसके ऑपरेशन अरविंदो अस्पताल के सिटीवेश सर्जरी विभाग में किये गए थे, जिसके बाद कमर सें निचे सें दोनों पैर काटे गए थे। परन्तु उसके बाद भी ज्योति कि जान नहीं बचाई जा सकी।

मौत के बाद फूटा परिजनों का गुस्सा

16 जून की रात इंदौर के एक अरविंदो अस्पताल में महिला की मौत हो गई। अगले दिन मंगलवार क़ो परिजन जब महिला का शव लेकर खंडवा लौटे, तो उन्होंने अस्पताल पहुंचकर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर समय रहते सही इलाज करते या प्रशासन द्वारा समय पर कार्रवाई होती, तो उनकी परिजन की जान बच सकती थी।

शिकायत और जांच की अनदेखी बनी मौत की वजह?

मृतका के परिजन पहले ही 2 जून को पदमनगर पुलिस, कलेक्टर कार्यालय और CMHO खंडवा को लिखित शिकायत कर चुके थे। इस पर CMHO ने 2 जून क़ो ही  तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 3 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा था, लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आई।

(CMHO ऑफिस सें जारी किया गया जाँच कमेटी का आदेश 2 जून क़ो जारी आदेश में 3 दिन में जाँच रिपोर्ट अभिमत के साथ सौपने के निर्देश दिए गए थे)

सूत्रों की मानें तो, जांच रिपोर्ट को जानबूझकर लटकाया गया और डॉक्टर को बचाने की कोशिश की गई। अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो इस तरह का प्रदर्शन और शायद महिला कि जान की हानि नहीं होती।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

एसडीएम बजरंग बहादुर सिंह ने मीडिया से कहा कि मृतका के परिजनों की शिकायत पर जांच चल रही है, जाँच कमेटी सें रिपोर्ट मिलने के बाद जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी।

सीएसपी अभिनव बारंगे ने बताया कि अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और लापरवाही दोनों मामलों की जांच की जा रही है और दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

 परिजनों की मांगें

डॉक्टर वाजिद कुरैशी की प्रैक्टिस पर रोक लगे

संत रिचर्ड पंपुरी हॉस्पिटल की मान्यता रद्द की जाए

SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाए

परिवार को सरकारी मुआवजा और पुनर्वास सहायता मिले

मामले की न्यायिक जांच कर दोषियों को सजा दी जाए

निजी अस्पतालों में लापरवाही का ये कौन सा इलाज?

मामूली सें पेट दर्द कि शिकायत का इलाज कराने अस्पताल आई ज्योति 25 दिनों के संघर्ष के बाद अंततः चिकित्साकीय लापरवाही कि भेट चढ़ गई। ज्योति ओसवाल की मौत एक गरीब दलित महिला की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता की गवाही है। क्या अब भी स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन और शासन नहीं जागेगा?