88 साल के इतिहास में पहली बार रणजी ट्राफी विजेता बना मध्यप्रदेश। जानिए यह दिलचस्प कहानी...

मध्‍यप्रदेश के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। मुंबई ने रणजी ट्रॉफी 2022 फाइनल में टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी करने का फैसला किया था। मुंबई की पहली पारी 374 रन पर ऑलआउट हुई थी। इसके जवाब में मध्‍यप्रदेश ने पहली पारी में 536 रन बनाए और पहली पारी के आधार पर 162 रन की बढ़त हासिल की। चौथे दिन मुंबई ने तेजी से खेलकर आउटराइट जीत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन उसकी दूसरी पारी 269 रन पर सिमट गई। इस तरह मध्‍यप्रदेश को जीत के लिए 108 रन का लक्ष्‍य मिला, जिसे उसने 29.5 ओवर में चार विकेट खोकर हासिल कर लिया।

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41 बार की चैम्पियन मुम्बई को फाइनल मे हराकर मध्यप्रदेश ने जीती रणजी ट्राफी। 1934 से खेला जा रहा है रणजी ट्रॉफी। इससे पहले मध्यप्रदेश की टीम 1998-99 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंची थी। तब टीम के कप्‍तान चंद्रकांत पंडित थे। उस समय टीम भले हार गई थी, लेकिन 23 साल बाद उनके ही कोचिंग में मध्यप्रदेश ने झंडा किया बुलंद और जीती ट्रॉफी। जीत के बाद सीएम शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया सरीखें नेताओं ने टीम का बढ़ाया हौंसला

खेल डेस्क। मध्‍यप्रदेश ने आज 41 बार की चैंपियन मुंबई को फाइनल में हराकर इतिहास रच दिया। गौरतलब हो कि मध्‍यप्रदेश ने बेंगलुरु के एम चिन्‍नास्‍वामी स्‍टेडियम पर अंतिम दिन 108 रन के लक्ष्‍य को 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया और 6 विकेट से जीत दर्ज कर स्वर्णिम इतिहास लिखा। आदित्‍य श्रीवास्‍तव के नेतृत्‍व वाली मध्‍यप्रदेश की टीम की सफलता का श्रेय कोच चंद्रकांत पंडित को दिया जा रहा है।जिनकी बदौलत पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनने का गौरव मध्यप्रदेश को हासिल हुआ। बता दें कि मध्‍यप्रदेश के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। मुंबई ने रणजी ट्रॉफी 2022 फाइनल में टॉस जीतकर पहले बल्‍लेबाजी करने का फैसला किया था। मुंबई की पहली पारी 374 रन पर ऑलआउट हुई थी। इसके जवाब में मध्‍यप्रदेश ने पहली पारी में 536 रन बनाए और पहली पारी के आधार पर 162 रन की बढ़त हासिल की। चौथे दिन मुंबई ने तेजी से खेलकर आउटराइट जीत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन उसकी दूसरी पारी 269 रन पर सिमट गई। इस तरह मध्‍यप्रदेश को जीत के लिए 108 रन का लक्ष्‍य मिला, जिसे उसने 29.5 ओवर में चार विकेट खोकर हासिल कर लिया।

23 साल पहले भी पहुँचें थे फाइनल, लेकिन नहीं मिली थी जीत...

23 साल पहले यानी 1998-99 में मध्‍यप्रदेश की टीम रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंची थी। तब टीम के कप्‍तान चंद्रकांत पंडित ही थे। मगर तब मध्‍यप्रदेश को कर्नाटक के हाथों शिकस्‍त झेलनी पड़ी थी। मध्‍यप्रदेश ने 69 साल पहले अपने पुराने अवतार होल्‍कर के रूप में आखिरी बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता था। अब मध्‍यप्रदेश के रणजी ट्रॉफी खिताब का सूखा समाप्‍त हुआ और पहली बार वह चैंपियन बनी। मध्‍यप्रदेश रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने वाली 20वीं टीम बनी। अब तक केवल आठ टीमों ने एक बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता है। वहीं 12 अन्‍य टीमों ने कई बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीते हैं।

मध्यप्रदेश का रणजी ट्रॉफी में अबतक का सफ़र...

रणजी ट्रॉफी जब शुरू हुई थी तो मध्य प्रदेश की टीम बनी भी नहीं बनी थी। तब ब्रिटिश युग के राज्य होलकर ने देश के कई दिग्गज क्रिकेटर दिए। जिसमें करिश्माई मुशताक अली और भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सीके नायुडू भी शामिल रहे। होलकर 1950 के दशक तक मजबूत टीम थी जिसे बाद में मध्य भारत और फिर मध्य प्रदेश नाम दिया गया। मध्य प्रदेश ने इसके बाद कई अच्छे क्रिकेटर तैयार किए। जिसमें स्पिनर नरेंद्र हिरवानी और राजेश चौहान भी शामिल रहे। जिनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोटा लेकिन प्रभावी रहा। अमय खुरसिया ने भी काफी सफलता हासिल की। मध्यक्रम के बल्लेबाज देवेंद्र बुंदेला दुर्भाग्यशाली रहे क्योंकि वह 1990 और 2000 के दशक में उस समय खेले जब मध्य क्रम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खेल रहे थे।

पूरी टीम को मिलेंगे दो करोड़...

रणजी ट्रॉफी जीतने वाली टीम को एमपीसीए की ओर से दो करोड़ रुपये की इनामी राशि का एलान किया गया है। मीडिया से बातचीत में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने कहा, ''टीम की ऐतिहासिक जीत पर हम बहुत खुश हैं। यह मध्य प्रदेश के लिए अभूतपूर्व सफलता है। यह जीत राज्य की पूरी जनता को समर्पित है। चंद्रकांत पंडित और टीम के सभी सदस्यों ने शानदार काम किया है। एमपीसीए की ओर से दो करोड़ रुपये की इनामी राशि पूरी टीम को दी जाएगी।''

रजत पाटीदार और कप्तान आदित्य ने बनाए विजयी रन...

दूसरी पारी में मध्यप्रदेश के सामने 108 रन का लक्ष्य था। इसके जवाब में कोई बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल पाया। यश दुबे सिर्फ एक रन और हिमांशु मंत्री 37 बनाकर आउट हुए। पर्थ साहनी ने पांच रन बनाए। शुभम शर्मा 30 रन बनाकर आउट हुए। रजत पाटीदार 30 और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने एक रन बनाकर अपनी टीम को जीत के पार पहुंचाया। मुंबई के लिए शम्स मुलानी ने तीन और धवन कुलकर्णी ने एक विकेट लिया।  

1934 से खेला जा रहा है रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट...

रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट 1934 से खेला जा रहा है। पहला मैच 4 नवंबर 1934 से मद्रास और मैसूर के बीच चेपक ग्राउंड में खेला गया था। इसकी ट्रॉफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा दान की गई थी। मुंबई ने इस टूर्नामेंट को सबसे ज्यादा 41 बार जीता है। 1958-59 से लेकर 1972-73 तक मुंबई की टीम ने लगातार 15 बार खिताब जीता था। 86 साल में पहली बार पिछले साल (2020-21 सीजन) रणजी ट्रॉफी रद्द करनी पड़ी थी। जिसकी वजह कोरोना था।

महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रणजी ट्रॉफी...

आखिर में बताते चलें कि रणजी ट्रॉफी का नाम महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया है। वह 1907 से 1933 तक भारत में नवानगर (वर्तमान में जामनगर) स्टेट के महाराजा रहे थे। महाराजा रणजीत सिंह भारत के पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें इंग्लैंड की क्रिकेट टीम से खेलने का मौका मिला था। उन्होंने इंग्लैंड के लिए 1896 से 1902 तक 15 टेस्ट मैच खेले। उस वक्त भारत की क्रिकेट टीम नहीं हुआ करती थी। रणजीत सिंह के निधन के बाद 1934 में उनके नाम पर भारत में घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी की शुरुआत हुई।