"जय जगन्नाथ" के उद्घोष से गूंज उठा आसमान, दो साल बाद पूरी में रथ यात्रा शुरू
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है। 1 से 12 जुलाई तक चलने वाली रथयात्रा उत्सव में इस साल लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस मौके पर पुरी पहुंचे श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ और हरिबोल का जयघोष किया। घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा।
उड़ीसा के पुरी में विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव की शुरुआत हो गई है।1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर निकले। इस पावन पर्व पर देश दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे और भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। दस दिनों तक चलने वाली रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं।
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है। 1 से 12 जुलाई तक चलने वाली रथयात्रा उत्सव में इस साल लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। इस मौके पर पुरी पहुंचे श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ और हरिबोल का जयघोष किया। घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा।
सिंहद्वार के आसपास एकत्र हुए देश और दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं ने रथों पर सवार भगवान की प्रतिमाओं के दर्शन किये। विगत दो साल कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन और अन्य प्रतिबंध लागू रहे है। इस दौरान अन्य सार्वजनिक आयोजनों को तरह भगवान जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव का आयोजन भी नहीं हो सका था। ऐसे में इस वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है।
पुरी के राजा गजपति महाराजा के राजपरिवार के दिब्यसिंह देब ने ‘रथयात्रा’ से पहले शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ एवं उनके दैवीय स्वरूप भाई-बहन के रथों की साफ-सफाई करते हुवे ‘छेरा पहरा’ रस्म पूरी की थी। वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पुरी पहुंचकर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल हुए। सीएम पटनायक ने राज्यपाल गणेशी लाल और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ रथ भी खींचा।
विश्व प्रसिद्ध इस जगन्नाथ रथयात्रा को लेकर हिंदू पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा की थी। तब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर नगर दिखाने के लिए निकले थे। ऐसी मान्यता है की तब से ही प्रतिवर्ष यह परंपरा चली आ रही है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र तीन भव्य रथों में सवार होकर निकलते हैं। रथयात्रा के दौरान वे अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी जाते हैं और वहां पर ठहरते हैं। 5 जुलाई तक हेरा पंचमी यानी पहले 5 दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में निवास करेंगे। जहां 8 जुलाई को संध्या दर्शन होंगे। मान्यता है कि इस दौरान संध्या दर्शन पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है।
इस अनोखी रथयात्रा को लेकर तैयारियों और व्यवस्थाओं के लिए प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की और से भी विशेष प्रबंध किए जाते है क्योंकि इस पौराणिक यात्रा में उड़ीसा राज्य ही नहीं वरन पूरे भारत के साथ ही कई अन्य देशों से विदेशी श्रद्धालु और पर्यटक भी पहुंचते है।