वन अधिकार अधिनियम पर बनी टास्क फोर्स का खंडवा में जबरदस्त विरोध – पूर्व विधायक राम दांगोरे के खिलाफ फूटा आदिवासी आक्रोश

खंडवा: वन अधिकार अधिनियम और पेसा कानून के क्रियान्वयन हेतु गठित टास्क फोर्स के खंडवा दौरे का स्थानीय आदिवासियों ने तीखा विरोध किया। पूर्व विधायक राम दांगोरे, जो टास्क फोर्स के सदस्य हैं, के खिलाफ जंगल भूमि हड़पवाने के आरोपों को लेकर काले झंडे दिखाए गए और जोरदार नारेबाज़ी हुई। ग्रामीणों का कहना है कि दांगोरे जैसे विवादित चेहरों को समिति में शामिल करना न्याय के साथ धोखा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना भी दिया गया। पूर्व में इन्हीं आरोपों के चलते 2023 में बीजेपी ने उनका टिकट काटकर छाया मोरे को पंधाना से उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। अब दांगोरे पर टास्क फोर्स की आड़ में राजनीतिक वापसी की कोशिश का आरोप लग रहा है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच और टास्क फोर्स से विवादित सदस्यों को हटाने की मांग की है।

वन अधिकार अधिनियम पर बनी टास्क फोर्स का खंडवा में जबरदस्त विरोध – पूर्व विधायक राम दांगोरे के खिलाफ फूटा आदिवासी आक्रोश
वन अधिकार अधिनियम पर बनी टास्क फोर्स का खंडवा में जबरदस्त विरोध – पूर्व विधायक राम दांगोरे के खिलाफ फूटा आदिवासी आक्रोश

खंडवा। वन अधिकार अधिनियम 2006 (FRA) और पेसा कानून (PESA) के नाम पर गठित टास्क फोर्स समिति का खंडवा दौरा विवादों में घिर गया है। जिस उद्देश्य से यह समिति बनाई गई, वही अब सवालों के घेरे में आ चुका है — और सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है इस समिति में विवादित चेहरों की मौजूदगी पर, जिनमें प्रमुख हैं पूर्व पंधाना विधायक राम दांगोरे।

 

जंगल हड़पने वाले ही अब "वन अधिकार" तय करेंगे?

 

पूर्व विधायक राम दांगोरे के खंडवा पहुंचते ही स्थानीय आदिवासियों और ग्रामीण संगठनों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। आरोप है कि दांगोरे स्वयं आदिवासी क्षेत्र की हज़ारों हेक्टेयर जंगल भूमि पर बाहरी लोगों से कब्जा करवाने में संलिप्त रहे हैं। ऐसे व्यक्ति को वन अधिकारों की समीक्षा करने वाली टास्क फोर्स में शामिल किया जाना, आदिवासी हितों का सीधा अपमान माना जा रहा है।

 

टिकट कटा, जनता ने नकारा — अब टास्क फोर्स की आड़ में राजनीति चमकाने पहुंचे दांगोरे

 

राम दांगोरे की कार्यशैली और वन भूमि से जुड़े विवादों को लेकर लगातार शिकायतें बीजेपी नेतृत्व तक पहुंची थीं। यही वजह रही कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काटकर कांग्रेस से आईं छाया मोरे को पंधाना से मैदान में उतारा, जो न सिर्फ चुनाव लड़ीं बल्कि राम दांगोरे और उनके समर्थकों के ज़ोरदार विरोध के बावजूद करीब 30,000 वोटों के भारी अंतर से विजयी रहीं।

 

छाया मोरे के विधायक बनने के बाद ही गुड़ी वन परिक्षेत्र, कुमठा, भिलाई खेड़ा जैसे इलाकों में वर्षों से काबिज बाहरी अतिक्रमणकारियों को खदेड़ा गया और हजारों हेक्टेयर वन भूमि को मुक्त कराया गया। यह सफलता राम दांगोरे की पूर्व भूमिका पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।

 

टास्क फोर्स बनी अस्थिरता का कारण — आदिवासियों में उबाल

 

टास्क फोर्स के खंडवा आगमन पर गुरुवार को कलेक्टर कार्यालय के सामने स्थानीय संगठनों ने धरना दिया, जबकि शुक्रवार को हीरापुर, नीमसेठी, बोरखेड़ा, नाहरमाल और भिलाई खेड़ा जैसे क्षेत्रों में ग्रामीणों ने काले झंडे दिखाकर जबरदस्त नारेबाज़ी की। विरोध का केंद्र बिंदु केवल राम दांगोरे रहे, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने वनाधिकार का शोषणकर्ता बताया।

 

प्रशासन और सरकार से तीन बड़ी मांगें :

 

1. टास्क फोर्स से विवादित और पूर्व राजनैतिक पदाधिकारियों को तुरंत बाहर किया जाए।

2. दावों की समीक्षा में पूर्ण पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी सुनिश्चित हो।

3. टास्क फोर्स का पुनर्गठन कर, स्थानीय आदिवासी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।

 

विश्वास का संकट — क्या निष्पक्षता संभव है?

 

ग्रामीणों का आरोप है कि टास्क फोर्स में वही लोग शामिल हैं, जिनके कार्यकाल में जंगलों की लूट हुई। इससे दावों की निष्पक्ष जांच की उम्मीद धूमिल होती दिख रही है। राम दांगोरे जैसे चेहरों की मौजूदगी खुद इस प्रक्रिया को संदिग्ध बना रही है।

 

पृष्ठभूमि और भ्रमण कार्यक्रम

 

भोपाल स्थित जनजातीय क्षेत्रीय विकास संचालनालय द्वारा दिनांक 17 जुलाई 2025 को जारी आदेश क्रमांक 1/372215/2025 के अनुसार, टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. शरद चंद लेले, कालू सिंह मुजाल्दा, डॉ. मिलिंद दांडेकर और श्रीराम दांगोरे 25-26 जुलाई को खंडवा और बुरहानपुर जिलों का दौरा कर रहे हैं। सभी सदस्य 24 जुलाई को झाबुआ से खंडवा पहुंचे और 27 जुलाई को इंदौर प्रस्थान करेंगे।

हम किसी क़ो पट्टा देने नहीं आये: दांगोरे 

इधर अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद पूर्व विधायक एवं पैसा टास्क फाॅर्स सदस्य राम दांगोरे ने मीडिया से चर्चा करते हुए सभी आरोपों क़ो नकारते हुए उनके एवं टास्क फाॅर्स के हो रहे विरोध क़ो अतिक्रमण कारियों एवं लकड़ी तस्करों और इसमें संलिप्त अधिकारीयों कि सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा हैँ कि क्षेत्रवासी किसी के बहकावे में आ रहे हैँ कुछ बाहरी लोग आकर विरोध प्रदर्शन करवा रहे हैँ, सभी जगह एक जैसे बैनर बाटे गए हैँ, काले झंडे का कपड़ा भी एक ही दुकान से ख़रीदा गया हैँ, मामले में एंटीलिजेन्स एजेंन्सीयां सक्रिय हैँ उनकी कि जाँच में बहुत कुछ आया हैँ। हमने भी हमारी रिपोर्ट तैयार कर ली हैँ हमारी इस जाँच से वह घबराये हुए हैँ जिन्होंने खंडवा बुरहानपुर के जंगलों का बेसकीमती सागवान जो दुनिया में फेमस हैँ कि तस्करी कर हजारों करोड़ का लड़की घोटाला किया हैँ। इन जंगलों कि लकड़ी कहाँ गई इसकी विस्तृत जाँच होंगी तो बहुत कुछ सामने आएगा। 

अस्मिता, अधिकारी और आत्म सम्मन कि लड़ाई :

खंडवा में टास्क फोर्स का विरोध केवल एक कार्यक्रम विरोध नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, अधिकार और आत्मसम्मान की लड़ाई है। सवाल यही है — क्या सरकार इस आवाज़ को सुनेगी? या फिर राम दांगोरे जैसों के ज़रिए आदिवासी हितों को फिर एक बार कुचला जाएगा?