सट्टा किंग गजेंद्र अग्रवाल – कांग्रेस से बीजेपी तक का सफर, रसूख और सट्टे का खेल!

सट्टा किंग गजेंद्र अग्रवाल: ओंकारेश्वर में पहली बार बड़े खाईवाल का नाम सामने आया है। कभी कांग्रेस सेवादल का नगर अध्यक्ष रहे गजेंद्र ने भाजपा का दामन थामकर राजनीतिक संरक्षण हासिल किया और पूरे मांधाता क्षेत्र में आईपीएल सट्टे का नेटवर्क फैला दिया। पढ़े खबर भारत की पूरी रिपोर्ट...

सट्टा किंग गजेंद्र अग्रवाल – कांग्रेस से बीजेपी तक का सफर, रसूख और सट्टे का खेल!
तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर का सट्टा खाईवाल गजेंद्र अग्रवाल भाजपा नेताओं का कुछ समय में बन गया था खास..

खंडवा के ओंकारेश्वर में बड़ा खुलासा, पहली बार सट्टे के खाईवाल का नाम उजागर

ओंकारेश्वर में पहली बार आईपीएल सट्टे के बड़े खाईवाल का नाम सामने आया है। इस खुलासे में जिस व्यक्ति का नाम चर्चा में है, वह है गजेंद्र अग्रवाल उर्फ गजु भैया। राजनीतिक संरक्षण और पत्रकारिता की आड़ में सालों से चल रहे इस अवैध कारोबार की सच्चाई अब उजागर हो रही है। आइए जानते हैं इस सनसनीखेज खुलासे की पूरी कहानी।

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(खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल एवं मान्धाता विधायक नारायण पटेल के साथ सट्टा किंग गजेंद्र अग्रवाल)

राजनीति का सहारा लेकर बना सट्टा किंग!

गजेंद्र अग्रवाल का सफर कांग्रेस से शुरू हुआ था। कुछ साल पहले तक वह कांग्रेस सेवादल का ओंकारेश्वर नगर अध्यक्ष था। मगर जब उसे राजनीतिक संरक्षण और अवैध कारोबार को और बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई, तो उसने बीजेपी का दामन थाम लिया। भाजपा में शामिल होते ही वह सत्ता के करीब पहुंच गया और मांधाता विधानसभा में सट्टे का पूरा जाल फैला दिया।

सूत्रों की मानें तो गजेंद्र अग्रवाल खंडवा के सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल का ‘राइट हैंड’ है। यही नहीं, वह मांधाता विधायक नारायण पटेल सहित कई भाजपा नेताओं का करीबी बन चुका है। पुलिस, प्रशासन और मंदिर व्यवस्था से लेकर हर बड़े सरकारी काम में उसकी पकड़ मानी जाती है।

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(कभी कांग्रेस का झंडा बरदार होकर सेवादल का नगर अध्यक्ष रहा गजेंद्र आरएसएस जैसे संगठन में पैठ बनाने में लगा था, परन्तु इसके कारनामो की जानकारी लगते ही इसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया)

पूरे मांधाता क्षेत्र में फैला रखा है सट्टे का नेटवर्क

जानकारी के अनुसार, गजेंद्र ने सिर्फ ओंकारेश्वर में ही नहीं, बल्कि पूरे मांधाता विधानसभा में सट्टे का नेटवर्क फैला रखा है। हर बड़े गांव में उसके दो से तीन अड्डे हैं, जहां एजेंट्स खुलेआम सट्टा लिखते हैं। पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत के चलते यह अवैध कारोबार सालों से फल-फूल रहा था।

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(मान्धाता विधायक के पुत्र दीपक पटेल क़ो प्रभावित करने उनकी पूजा पाठ की व्यवस्था करा कर खुद साथ में अभिषेक करने बैठा सटोरिया गजेंद्र अग्रवाल)

गजेंद्र का खेल सिर्फ सट्टे तक सीमित नहीं है।

सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा: ओंकारेश्वर में कई सरकारी जमीनों पर गजेंद्र ने अवैध कब्जे कर रखे हैं। जिन पर भवन बना कर यह सट्टा जुआ जैसी गतिविधियाँ संचालित करता हैँ,  गत दिनों हुई कार्रवाई भी इसके एक अवैध कब्जे वाले भवन में की गई थी जहाँ सें बड़े पैमाने पर सट्टा सामग्री जप्त हुई थी।

(सट्टा किंग गजेंद्र अग्रवाल क़ो सांसद प्रतिनिधि मनोनीत होने पर सोशल मीडिया पर जमकर बधाइयाँ मिली थी)

गेस्ट हाउस की आड़ में अवैध धंधे: गजानंद आश्रम के सामने ग्रीन बेल्ट की जमीन पर एक अवैध गेस्ट हाउस बना रखा है, जहां कई तरह की अनैतिक गतिविधियां संचालित होती हैं।

बेटे का भी सट्टे में नाम: गजेंद्र का बेटा राज अग्रवाल भी सट्टे में शामिल है। पूर्व में उसके खिलाफ इंदौर ग्रामीण में आईपीएल सट्टे का केस दर्ज हुआ था।

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(सट्टा खाईवाल गजेंद्र का जलवा बताने के लिए यह फोटो काफ़ी हैँ  जिसमे बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष सेवादास पटेल के साथ गार्डन के झूले पर बैठा हुआ हैँ)

आईजी के निर्देश पर हुई कार्रवाई, मान्धाता पुलिस को कैसे मिली ‘क्लीन चिट’?

इस बार इंदौर आईजी अनुराग के निर्देश पर डीआईजी खरगोन सिद्दार्थ बहुगुणा ने कार्रवाई की और बड़वाह सब डिवीजन की टीम ने बड़वाह SDOP अर्चना रावत के नेतृत्व में छापा मारकर 17 आरोपियों को चंद मिनटों में गिरफ्तार कर लिया। मामले में मान्धाता थाने के विरुद्ध जाँच खंडवा के एडिशनल एसपी राजेश रघुवंशी को सौंप गई उनके द्वारा जांच के लिए पुनासा एसडीओपी रविंद्र बॉयत को निर्देश देकर जाँच करवाई गई मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि मान्धाता पुलिस को इतनी जल्दी क्लीन चिट कैसे मिल गई?

स्थानीय लोगों का कहना है कि गजेंद्र अग्रवाल ने अपने राजनीतिक आकाओं की मदद से खुद को और अपने संरक्षणकर्ताओं को बचाने की पूरी स्क्रिप्ट तैयार करवाई थी।

(सांसद श्री पाटिल के परिजनों के ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर आगमन पर उनके साथ बैठा सटोरिया गजेंद्र अग्रवाल लाल घेरे में)

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क्या प्रशासन अब भी आंखें मूंदे रहेगा?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि –

1. जिस मांधाता थाना क्षेत्र में सालों से खुलेआम सट्टा चल रहा था, वहां के थाना प्रभारी अनोक सिंह सिंधा को इतनी जल्दी ‘क्लीन चिट’ कैसे मिल गई?

2. क्या गजेंद्र अग्रवाल और उसके पूरे नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई होगी, या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा?

3. क्या पुलिस प्रशासन गजेंद्र के राजनीतिक संरक्षकों तक भी पहुंचेगा, या सिर्फ छोटे गुर्गों तक सीमित रहेगा?

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सत्ताधारी दल के सांगठनों का चोला ओढ़कर सट्टाकिंग बने खाईवाल गजेंद्र अग्रवाल के किस्से और कांग्रेस बीजेपी के नेताओं के साथ गलबंहिया डाले कई फोटो सोशल मीडिया में मौजूद हैँ, वहीँ इसके खिलाफ पूर्व में भी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की स्पेशल स्क्वाड द्वारा पकड़ा गया सट्टे का प्रकरण मान्धाता थाने पर दर्ज हैँ, बावजूद ऐसे अपराधी पर बीजेपी के नेताओं और जनप्रतिनिधियों की बेहिसाब मेहरबानिया कई सवालों क़ो जन्म दे रही हैँ.. देखना होगा स्वच्छ राजनीती का पाठ देश दुनिया क़ो पढ़ाने वाली बीजेपी इस मामले में क्या संज्ञान लेती हैँ...

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