नवरात्र विशेष: नौ दिनों तक श्रद्धालुओं का लगता है तांता, अलग अलग है मान्यताएं,

कुछ ऐसे स्थान है जहां की सैकड़ों वर्षों से अलग अलग मान्यताएं है। और इन मान्यताओं को लेकर दूर दूर से श्रद्धालु नवरात्र उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में दर्शन पूजन करने पहुंचते है।

नवरात्र विशेष: नौ दिनों तक श्रद्धालुओं का लगता है तांता, अलग अलग है मान्यताएं,
नवरात्र विशेष: नौ दिनों तक श्रद्धालुओं का लगता है तांता, अलग अलग है मान्यताएं,








नवरात्र उत्सव नौ दिनों तक शक्ति की अराधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। और इन नौ दिनों में श्रद्धालु मां दुर्गा को प्रसन्न करने के भरसक प्रयास करते है। गरबा रास हो या घंटों तक की पूजा, कई तरह के त्याग कर श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की उपासना की जाती है। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के बोरगांव बुजुर्ग क्षेत्र में भी कुछ ऐसे स्थान है जहां की सैकड़ों वर्षों से अलग अलग मान्यताएं है। और इन मान्यताओं को लेकर दूर दूर से श्रद्धालु नवरात्र उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में दर्शन पूजन करने पहुंचते है। आइए आपको बताते है ऐसे ही कुछ चमत्कारी देव स्थानों के बारे में..






01. श्री सातमात्रा मां बागेश्वरी मंदिर




ये सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर इंदौर इच्छापुर हाइवे पर सुक्ता नदी के किनारे स्थित है। मंदिर में मां दुर्गा सात रूपों में स्थापित है। यहां की कई पौराणिक मान्यताएं है। शनिवार और मंगलवार को दूर दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन पूजन करने पहुंचते है। श्रद्धालुओं की माने तो मंदिर के बाजू से बह रही सुक्ता नदी में स्नान कर वहां का जल मातारानी पर चढ़ाकर और उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से सभी प्रकार की मन्नतें पूरी होती है। यहां कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त मरीज भी बढ़ी आस्था के साथ पहुंचते है। कई श्रद्धालुओं ने बताया की यहां चर्म रोग, लकवाग्रस्त जैसी कई बीमारियों के मरीजों को पूजन अर्चन करने से पूरी तरह फायदा मिलता है। बात करें नवरात्र उत्सव की तो यहां नौ दिनों तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन अर्चन करने पहुंचते है और लगातार नौ दिनों तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। शनिवार और मंगलवार को यहां जिन लोगों की मन्नत पूरी होती है वो कढ़ावा (हलुआ बना कर प्रसादी वितरण) करते है।



02. चामुंडा माता मंदिर धनोरा,

बोरगांव से पांच किमी दूर ग्राम धनोरा में लगभग 500 वर्ष पुराना मां चामुण्डा माता का मंदिर है। यहां स्थित माता की प्रतिमा 500 वर्ष पुरानी और स्वयं भू बताई जाती है। मंदिर पुजारी मोहित शास्त्री ने बताया की नवरात्र उत्सव के दौरान नौ दिनों तक माता अलग अलग रूपों में दर्शन देती है। उन्होंने ये भी बताया की स्वयं भू माता प्रतिमा की आकृति में प्रतिवर्ष स्वयं ही वृद्धि होती है। यहां भी लोग मन्नत मांगते है और माता जब उन्हें पूरी करती है तो कढ़ावा कर प्रसादी का वितरण किया जाता है।

03. कल्याणगीर गुरु समाधि स्थल

बोरगांव से लगभग चार किमी की दूरी पर सुक्ता नदी किनारे संत कल्याणगीर गुरु समाधि स्थल है। ये सैकड़ों वर्ष पुराना स्थल है जहां मां दुर्गा का बहुत पुराना मंदिर है। मां दुर्गा मंदिर के पीछले हिस्से में मंदिर के नीचे से एक जलधारा बहती है जो की एक कुंडनुमा स्थान से सुक्ता नदी में जाकर मिलती है। बड़ी बात ये है की भीषण गर्मी में जब सुक्ता नदी सुख जाती है, फिर भी ये जलधारा बहती रहती है। यहां के गुरु ओंकारानंद महाराज ने बताया की बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस जलधारा के पानी में मन्नत मांगकर स्नान करते है और उनकी मन्नतें पूरी होती है। इस जलधारा के पानी से कई प्रकार के रोगों का उपचार होता है। नवरात्र उत्सव के दौरान इस स्थान पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है और मां दुर्गा के दर्शन कर पूजन अर्चन करते है साथ ही समाधि स्थल के भी दर्शन पूजन करते है।

साभार :- सुमित मंडलोई

लेखक खंडवा जिले के वरिष्ठ पत्रकार है ।

नोट:- लेख की सारी सामग्री जन मान्यताओं के आधार लिखी गई है, लेखक या khabarbharatnews.live इनकी सत्यता को लेकर कोई दावा नहीं करता है।