Maharashtra political crisis: इस्तीफे से पूर्व उद्धव ठाकरे ने सरकारी आवास छोड़ा, 'वर्षा' छोड़ परिवार समेत 'मातोश्री' पहुंचे महाराष्ट्र सीएम
जानकारी के अनुसार उद्धव ठाकरे पद पर बने रहने तक मातोश्री से ही सीएम का कामकामज करेंगे। उन्होंने अभी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कुछ तीस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि सीएम उद्धव ठाकरे का सामान वर्षा बंगले से मातोश्री ले जाया जा रहा है।
महाराष्ट्र में चल रहे राजनैतिक उठापटक के बीच खबर है कि सीएम उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है और वे परिवार समेत अपने घर मातोश्री पहुंच गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अब पद पर रहने तक उद्धव मातोश्री से ही सीएम का कामकामज सम्हालेंगे।
सामान सहित वर्षा से निकले ठाकरे
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के द्वारा बगावत के बाद महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक घमासान के बीच उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री का सरकारी आवास वर्षा बंगलो खाली कर दिया है। अपना पूरा सामान और परिवार के साथ ठाकरे पैतृक आवास मातोश्री में शिफ्ट हो गए हैं। उद्धव ने बुधवार को फेसबुक लाइव में इस बात की घोषणा की थी अगर उनकी पार्टी शिवसेना का एक विधायक भी उनके खिलाफ है तो वे सीएम पद के साथ ही शिवसेना प्रमुख के पद से भी इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा था कि वे मुख्यमंत्री का सरकारी आवास 'वर्षा' भी खाली करने को तैयार हैं। और यही दिखाने के लिए उन्होंने सीएम आवास खाली कर मातोश्री का रुख कर लिया है।
अब मातोश्री से चलेगी सरकार
जानकारी के अनुसार उद्धव ठाकरे पद पर बने रहने तक मातोश्री से ही सीएम का कामकामज करेंगे। उन्होंने अभी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कुछ तीस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि सीएम उद्धव ठाकरे का सामान वर्षा बंगले से मातोश्री ले जाया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे भी अपनी मां रश्मि ठाकरे और भाई तेजस ठाकरे के साथ मुंबई में अपने आधिकारिक आवास से निकलकर मातोश्री चले गए हैं। इससे पहले सुबह ही आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर अकाउंट के बायो से मंत्री महाराष्ट्र सरकार शब्द भी हटा लिया था।
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने लगाए नारे
जब ठाकरे सरकारी आवास से बाहर निकल रहे थे उस समय कुछ शिवसेना नेता वहां मौजूद थे। जब वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने आधिकारिक घर से रात नौ बजकर 45 बजे निकले तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में नारे लगाए। इससे पहले उनके निजी सामान से भरे बैग को कई चार पहिया वाहनों में रखते हुए देखा गया था। खुद की गई 'फेसबुक लाइव' में ठाकरे ने कहा था कि वह 'वर्षा' छोड़कर 'मातोश्री' में रहेंगे। बता दे कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद 'वर्षा' में रहने चले गए थे।
कोई शिवसैनिक बने मुख्यमंत्री तो होगी खुशी
इससे पहले ठाकरे ने बुधवार को फेसबुक के माध्यम से वर्चुअल संबोधन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश करते हुवे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह करने वाले बागी विधायकों को सुलह का प्रस्ताव दिया था। राज्य के राजनीतिक संकट को नया मोड़ देते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई शिवसैनिक उनकी जगह लेता है तो उन्हें खुशी होगी। उन्होंने कहा था की एकनाथ शिंदे मेरे सामने आकर बोले मैं सारे पद छोड़ दूंगा। मैं कुर्सी पर चिपकने वाला नही हूं। उन्होंने एकनाथ शिंदे के लिए कहा की “सूरत और अन्य जगहों से बयान क्यों दे रहे हैं? मेरे सामने आकर मुझसे कह दें कि मैं मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं तत्काल इस्तीफा दे दूंगा। मैं अपना इस्तीफा तैयार रखूंगा और आप आकर उसे राजभवन ले जा सकते हैं।" उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर किसी शिवसैनिक को अपना उत्तराधिकारी देखकर उन्हें खुशी होगी।
शिंदे ने ठुकराया सीएम पद का ऑफर
उद्धव ठाकरे के फेसबुक पर वर्चुअल संबोधन के बाद कांग्रेस एनसीपी की तरफ से भी बयान दिया गया की वह अपनी सरकार बचाने के लिए एकनाथ शिंदे को भी मुख्यमंत्री बनाने को तैयार है जिसे शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने सिरे खारिज करते हुवे कहा की हिंदुत्व के आगे सीएम पद की कोई अहमियत नहीं उन्होंने एमवीए सरकार में खुद के मुख्यमंत्री बनने से भी खुलकर इनकार कर दिया। बता दें की एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना के बागी नेताओं का कहना था की कांग्रेस एनसीपी के साथ गठबंधन करने से शिवसेना के मूल कार्यकर्ता हतास थे सरकार में भी एनसीपी कांग्रेस की तूती बोल रही थी और शिवसेना के विधायकों का लगातार अपमान हो रहा था। उन्होंने सरकार के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुवे कहा था की पुलिस नियुक्ति में गृहमंत्री अनिल देशमुख का खुला रोल रहा है वहीं दाऊद जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन से मंत्री नवाब मलिक के संबंध सामने आए है। सरकार में इन्ही की चलती थी और लगातार शिवसेना की मूल भावना और हिंदुत्व का तिरस्कार हो रहा था। ऐसे में इस अलोकतांत्रिक गठबंधन को तोड़ना जरूरी था।
सरकारी आवास खाली करने और लगातार शिवसेना के विधायकों के टूटने के बाद देखना होगा उद्धव ठाकरे कब तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहते है।