नागपंचमी पर विशेष देखे वीडियो खबर
आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जिन सर्पों को दुनिया विषैला जीव मानती हैं। उन्ही विषधर की भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज द्वारा आराधना की जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार सर्प हमारे जीवन का शुरुआत से ही एक हिस्सा रहे है।
ॐ भुजंगेशाय विद्महे। सर्पराजाय धीमहि। तन्नो नाग: प्रचोदयात्।
आज नाग पंचमी है। इसे नाग याने सर्प की पूजा का दिन कहा जाता है। भारत का हिंदू समाज प्रकृति को अपनी आराध्य मानता है। और श्रावण का पूरा महीना प्रकृति की पूजा का महीना होता है। जहां इस महीने में हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। वहीं हरियाली तीज के दिन देश के बड़े क्षेत्र में महिलाएं व्रत कर प्रकृति का पूजन करती है। वैसे ही आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जिन सर्पों को दुनिया विषैला जीव मानती हैं। उन्ही विषधर की भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज द्वारा आराधना की जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार सर्प हमारे जीवन का शुरुआत से ही एक हिस्सा रहे है। इसीलिए उन्हें खुद भगवान शिव शंकर द्वारा अपने मस्तक पर पंच महाभूतों में से एक मान कर धारण किया है। आज के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है देश में कई स्थानों पर नाग देवता के मंदिर है।
जहां वर्ष भर उनकी पूजा अर्चना होती है। परंतु कुछ ऐसे मंदिर भी है। जो वर्ष में केवल कुछ समय के लिए ही खुलते है। उनमें से कुछ में वर्ष के एक दिन नाग पंचमी पर दर्शन एवं पूजा की जाती है। तो कुछ में 10 दिन का मेला आयोजित किया जाता है। आइए आपको बताते है ऐसे ही कुछ विशेष मंदिरों के बारे में....
उज्जैन का नाग चंद्रेश्वर मंदिर
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में स्थित है एक ऐसा मंदिर जो वर्ष में केवल एक बार श्रावण शुक्ल पंचमी याने की 'नाग पंचमी' को ही भक्तों के दर्शनों के लिए खुलता है। कहा जाता है की यहां नागराज तक्षक स्वयं वास करते हैं। यह मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के मुख्य शिखर के तीसरे खंड में स्थित है। जो श्रद्धालुओं के लिए केवल नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। यहां पर मंदिर खुलने के बाद सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर स्थित श्री पंचायती महा निर्वाण अखाड़े द्वारा त्रिकाल पूजन किया जाता है। सोमवार को मध्य रात्रि 12 बजे इस मंदिर के पट खोले गए जो केवल 24 घंटे तक याने की मंगलवार मध्य रात्रि 12 बजे तक ही खुले रहेंगे। इस दौरान ही यहां विराजित नाग चंद्रेश्वर भगवान की दिव्य प्रतिमा के दर्शन किए जा सकते है।
पचमढ़ी का नाग द्वारा मेला
देश के ह्रदय मध्य प्रदेश की सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पचमढ़ी यूं तो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश के साथ ही दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता ही है। यहां प्रकृति की अनुपम छटा देखते ही बनती हैं। सुंदर नजरों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी की संज्ञा भी दी जाती है। जहां इस स्थान का पर्यटन के रूप में प्रदेश में बड़ा महत्व है। वहीं इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। यहां की सुरम्य पहाड़ियों पर कई प्राचीन हिंदू मंदिर स्थित है। जिनमे से कुछ वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते है तो कुछ विशेष पर्वों पर ही दर्शन के लिए खोले जाते है। ऐसा ही एक स्थान पचमढ़ी में नागद्वारी का नाग देवता का मंदिर भी है। जो पूरे वर्ष भर में केवल सावन महीने में ही खुला रहता है। इस स्थान पर जाने के लिए बहुत ही दुर्गम रास्ता इसे विशेष कठिन यात्रा बनाता है। इस स्थान की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां 10 दिनों का मेला आयोजित किया जाता है।
महादेव की नगरी पचमढ़ी के नागद्वारी पहुंच कर नागराज के दर्शन को बाबा अमरनाथ के दर्शन के समान माना जाता है। मान्यता है की सावन मेले के दौरान यहां स्थित नाग देवता के दर्शन करने से जातकों की कुंडली का कालसर्प दोष दूर होता है।
वहीं कई लोग संतान प्राप्ति के लिए भी यहां पहुंचते है। कुल 25 किलो मीटर की इस कठिन यात्रा में शामिल होने मध्य प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश सहित देश भर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते है। मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिला प्रशासन द्वारा यहां इस यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती है।
25 किलो मीटर की यात्रा में पचमढ़ी से जलगली 7 किलो मीटर, जलगली से कालाझाड़ 3.5 किलो मीटर, कालाझाड से चित्रशाला 4 किलो मीटर, चित्रशाला से चिंतामण 1 किलो मीटर, चिंतामण से पश्चिमी द्वार 1 किलो मीटर, पश्चिमी द्वार से नागद्वारी 2.5 किलो मीटर की दूरी पर है। वहीं यहां से वापसी के लिए नागद्वारी से काजरी 2 किलो मीटर एवं काजरी से कालझाड़ 4 किलोमीटर होकर वापस जाया जाता है। यह पूरा रास्ता जंगल में होने के साथ ही बहुत ही दुर्गम है। जिस पर पर चलना भी बहुत कठिन होता है।
इस वर्ष नागद्वारी यात्रा का मेला 23 जुलाई से शुरू हुआ है। जो 3 अगस्त तक चलेगा इस दौरान हजारों की तादात में श्रद्धालु यहां पहुंच कर नागदेवता की पूजा करेंगे..
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जय भोले नाथ।
जय शिव शंकर...