MP: टपकती स्कूल की छत, लग रही अंब्रेला वाली क्लास। देखे पूरी खबर वीडियो में

आपको तस्वीरों में दिखाई देगा एक क्लास रूम में टीचर ब्लैक बोर्ड पर लिख रहे है वहीं सामने कुछ बच्चे हाथों में छाता लिए बैठे हुवे पढ़ाई कर रहे है। जी हां यह वीडियो डिजिटल इंडिया के उभरते मध्यप्रदेश का है जहां देश का भविष्य हाथो में छाता पकड़े डर के साएं में क्लास रूम में बैठने को मजबूर है। देखे पूरी वीडियो न्यूज़..

खबर मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से..

सिवनी में टपकती छत के नीचे छाता लगा कर पढाई करते बच्चे

मध्य प्रदेश में विकास के तमाम वादों की खुलती पोल..

वीडियो की शुरुआत में आपने एमपी की अजब है सबसे गजब है गाना सुनाई दिया होगा साथ ही आपको तस्वीरों में दिखाई दे रहा होगा एक क्लास रूम में टीचर ब्लैक बोर्ड पर लिख रहे है वहीं सामने कुछ बच्चे हाथों में छाता लिए बैठे हुवे पढ़ाई कर रहे है। जी हां यह वीडियो डिजिटल इंडिया के उभरते मध्यप्रदेश का है जहां देश का भविष्य हाथो में छाता पकड़े डर के साएं में क्लास रूम में बैठने को मजबूर है। अब आप कहेंगे डर किस बात का तो भाई डर इस बात का की कब बरसात की बूंदों के साथ स्कूल की छत का प्लास्टर बच्चो के ऊपर गिर जाए कोई भरोसा नहीं है।  

आइए विस्तार से जानते है यह पूरा मामला कहां का है

 मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी विकास खण्ड घंसौर के खैरी कला के शासकीय माध्यमिक शाला के बच्चों को बरसात होने पर छाता खोल कर पढ़ाई करनी पढ़ती है।

 बदहाल स्कूल भवन का हाल यह है कि बरसात में छत से पानी टपकता रहता है,जिससे बच्चों को क्लास के अंदर ही छाता खोल कर पढ़ना पड़ता है।

  बच्चों के एक हाथ में छाता तो दूसरे हाथ में किताब होती है।जब तक बरसात होती है तब तक बच्चों को छाता खोल कर इसी तरह से पढ़ाई करनी पड़ती है।

  स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मानें तो उन्हें इस जर्जर स्कूल में बैठकर पढ़ने में बहुत डर लगता है। 

  बारिश के पानी से उनकी किताबें, कपड़े सब गीले हो जाते हैं 

  बावजूद इसके भविष्य बनाने की चाह में मजबूरन उन्हें रोज जान जोखिम में डालकर इसी हालत में पढ़ना पड़ता है। 

  यह हाल स्कूल का आज से नही बल्कि बीते कई सालों से है, कई बार शिकायते की गई है बावजूद इसके किसी भी जिम्मेदार ने यहां की सुध नहीं ली है। 

  शाला के शिक्षक और जिम्मेदार अधिकारी भी मानते है स्कूल जर्जर है परंतु सवाल यह की इस व्यवस्था का सुधार कब होगा और कब बच्चो को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध हो सकेगा।