ममता बनर्जी की विपक्षी नेताओं के साथ बैठक में शामिल होंगे कांग्रेस और वामदल बिखराव रोकने की कोश‍िश

राकांपा नेता शरद पवार से मुलाकात कर राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी रणनीति पर चर्चा की। शरद पवार ने इस बैठक में साफ कर दिया कि वे विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए तैयार नहीं हैं।

ममता बनर्जी की विपक्षी नेताओं के साथ बैठक में शामिल होंगे कांग्रेस और वामदल बिखराव रोकने की कोश‍िश

राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार घोषित होने से पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार तय करने की कोशिशों में पिछले कई दिनों से लगी हुई है। ममता ने मंगलवार को राकांपा नेता शरद पवार से मुलाकात कर राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी रणनीति पर चर्चा की थी। बुधवार को उनके द्वारा आयोजित विपक्षी पार्टियों की बैठक से पहले जहां कई राजनैतिक दल दूरी बना चुके थे वहीं विपक्ष के बिखराव को रोकने के लिए कांग्रेस और वामपंथी दलों ने अब बैठक में अपने नेता भेजने का फैसला लिया है।

बैठक से पहले पवार से मिली ममता

 विपक्षी नेताओं की बुधवार को बुलाई गई अपनी बैठक से पहले मंगलवार को राकांपा नेता शरद पवार से मुलाकात कर राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी रणनीति पर चर्चा की। शरद पवार ने इस बैठक में साफ कर दिया कि वे विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं विपक्ष का नेतृत्व करने की अपनी पुरानी हसरत पूरी करने की कवायद के तहत ममता बनर्जी की बुलाई गई इस बैठक को लेकर पार्टी में सहमति नहीं होने के बावजूद कांग्रेस और वामदलों ने विपक्षी खेमे में किसी तरह के बिखराव को रोकने के लिए इसमें शामिल होने का फैसला किया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक जरूरत और वक्त का तकाजा है कि एकजुटता दिखाई जाए, ताकि विपक्ष विभाजित नजर नहीं आए। इसलिए पार्टी नेतृत्व ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला को बैठक में भेजने का फैसला किया है।

विपक्ष में राष्ट्रपति चुनाव पर शुरू हुई बातचीत

इसी प्रकार ममता के एकतरफा बैठक बुलाने से नाराज वामदल भी शरद पवार के समझाने-बुझाने के बाद बैठक में अपना प्रतिनिधि भेजने पर सहमत हो गए हैं। पवार के मुंबई से मंगलवार को दिल्ली पहुंचते ही राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की सक्रियता तेज हो गई। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी महासचिव डी राजा ने पवार से उनके घर जाकर मुलाकात भी की। बताया जाता है कि इस दौरान येचुरी और राजा ने ममता के एकतरफा बैठक के फैसले पर एतराज जताया था। परंतु पवार ने उन्हें यह कह कर बैठक में शामिल होने के लिए समझाया कि विपक्ष के बिखराव का संदेश जाना देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ठीक नहीं होगा। इसके बाद ही दोनों नेताओं ने अपने-अपने प्रतिनिधियों को बैठक में भेजने की बात कही।

बिखराव रोकने में लगे पवार

कांग्रेस नेताओं के साथ भी पवार विपक्ष के बिखराव को रोकने को लेकर लगातार संपर्क में बने हुए हैं। राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्षी नेताओं की बैठक का एलान करने में लीड लेने के बावजूद विपक्ष के कई शीर्ष नेताओं व मुख्यमंत्रियों के नहीं आने की भनक ने ममता बनर्जी को बेचैन कर रखा है। इसीलिए दिल्ली पहुंचते ही ममता सबसे पहले पवार से मिलने उनके घर पहुंचीं। इसकी तस्वीर खुद पवार ने ट्विटर पर शेयर की।

खुद उम्मीदवार बनने से पंवार का इंकार

सूत्रों के अनुसार, इस दौरान शरद पवार ने ममता को भी साफ कर दिया कि वे विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनने के इच्छुक नहीं हैं। सभी को मिलकर नए उम्मीदवार पर सहमति बनानी होगी। वैसे पवार से मिलने के बाद भाकपा नेता डी राजा ने भी कहा कि राकांपा प्रमुख ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से इन्कार किया है। पवार ने ममता को यह भी समझाया   कि राष्ट्रपति चुनाव को विपक्षी नेतृत्व की कमान थामने के राजनीतिक मकसद के रूप में इस्तेमाल करने से बचा जाना चाहिए। क्योंकि आम चुनाव से पहले विपक्ष के आपसी बंटवारे का संदेश सियासी रूप से घातक होगा।

आजाद को उम्मीदवार बनाने की चर्चा

बताया जा रहा है कि पवार अपनी तरफ से कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे के नेता गुलाम नबी आजाद को विपक्ष का उम्मीदवार बनाने की संभावना देख रहे हैं। उन्होंने वामदलों के नेताओं और ममता दोनों की मंशा की जानकारी भी ली। फिलहाल चाहे मजबूरी में ही सही मगर विपक्षी एकता की खातिर कांग्रेस और वामदलों के बैठक में शामिल होने के संदेश के बाद ममता बनर्जी की बुधवार को प्रस्तावित बैठक राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्ष की पहली औपचारिक मंत्रणा होगी। इसमें विपक्षी खेमे का कोई अन्य बड़ा मुख्यमंत्री शामिल होगा, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।

राव अलग पार्टी बनाने में लगे है

ममता के निकट होने के बावजूद तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बैठक में नहीं आएंगे और अपना प्रतिनिधि भेजेंगे। शिवसेना प्रमुख महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन भी इसमें शरीक नहीं होंगे। उनके प्रतिनिधि ही बैठक में आएंगे। आम आदमी पार्टी भी अपना प्रतिनिधि ही भेजेगी। वैसे संकेत हैं कि इस बैठक में विपक्षी उम्मीदवार पर आपसी चर्चा के लिए नेताओं की समिति बनाने पर सहमति बन सकती है। के चंद्र शेखर राव इससे पहले कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके है परंतु पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया था साथ की कुछ अन्य प्रमुख नेताओं ने भी उनका खुल कर साथ नही दिया था जिसके चलते वे नई राष्ट्रीय पार्टी बनाने के प्रयास में लगे हुवे है। देखना होगा विपक्ष की यह कवायद कितना सफल हो पाती है।