National Herald money laundering case: क्या है नेशनल हेराल्ड मामला, कैसे सामने आया प्रकरण। कौन कौन हैं आरोपी? सबकुछ जानिए....

जवाहर लाल नेहरू सहित कांग्रेस नेताओं ने 1938 में Associate Journal Limited नाम से एक कंपनी बनाई। ये कंपनी नेशनल हेराल्ड नाम से एक अखबार पब्लिश करती थी। ये कंपनी अखबार निकालती थी। इसलिए इसे कई शहरों में सस्ती कीमतों पर सरकारों से जमीन मिल गई।

National Herald money laundering case: क्या है नेशनल हेराल्ड मामला, कैसे सामने आया प्रकरण। कौन कौन हैं आरोपी? सबकुछ जानिए....

देश के बहुचर्चित गबन और भ्रष्टाचार के मामले नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी सोमवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय पहुँचें। जहां उनकी पेशी थी, लेकिन उससे पहले कांग्रेस ने देशभर में एक अजीब सा माहौल बनाने की कोशिश की और यह साबित करने का प्रयास करती रही कि केंद्र के इशारे पर जांच एजेंसियां काम कर रही, लेकिन ईडी मुख्यालय पहुँचने के बाद राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान कई सवाल पूछे गए। आइए ऐसे में जानें यह पूरा मामला... 

क्या है नेशनल हेराल्ड केस? जानिए...

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के भ्रष्टाचार के मामलों को प्रमुखता से उठाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में ट्रायल कोर्ट में पिटीशन दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडिया कंपनी लिमिटेड (YICL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण किया है। सुब्रह्मण्यम स्वामी का आरोप था कि ये सारा मामला दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था। 

जानिए इस मामले में कब कब क्या हुआ?... 

जवाहर लाल नेहरू सहित कांग्रेस नेताओं ने 1938 में Associate Journal Limited नाम से एक कंपनी बनाई। ये कंपनी नेशनल हेराल्ड नाम से एक अखबार पब्लिश करती थी। ये कंपनी अखबार निकालती थी। इसलिए इसे कई शहरों में सस्ती कीमतों पर सरकारों से जमीन मिल गई।

1) आरोप है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मिलकर एक ऐसी कंपनी बनाई, जिसका उद्देश्य बिजनेस करना नहीं, बल्कि अपनी बनाई कंपनी के जरिए (AJL) को खरीदकर उसकी 2 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति को अपने नाम करना था। 

2) इसके बाद 26 फरवरी, 2011 को 5 लाख रुपए की लागत से यंग इंडिया कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है। बाकी 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं। कुछ समय पूर्व दोनो की मृत्यु हो चुकी है। 

3) यंग इंडिया कंपनी ने एसोसिएट जर्नल लिमिटेड (AJL) की 90 करोड़ की देनदारियों का जिम्मा अपने उपर ले लिया। मतलब एक तरह से उसका लोन चुकाने की जिम्मेदारी ले ली।    

4) बाद में एजेएल के 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर 'यंग इंडियन' को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर मिल गए। बाद में कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का दिया गया कर्ज माफ कर दिया। इस तरह गांधी परिवार सोनिया गांधी - राहुल गांधी की कंपनी 'यंग इंडिया' को मुफ्त में (AJL) का मालिकाना हक मिल गया। 

यह सभी हैं मामले के आरोपी...

नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया और राहुल गांधी के अलावा और भी कई कांग्रेसी नेताओं के नाम सामने आए है, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सभी को नोटिस देकर बुलाने की बात कही जा रही है। इनमें मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज के अलावा सैम पित्रोदा और सुमन दुबे का नाम भी है। इनमें से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस अब इस दुनिया में नहीं हैं।  इस मामले में ईडी के नोटिस देने के बाद से ही कांग्रेस अपने नेताओं के बचाव में लगातार मुखर है। वहीं भाजपा इसको लेकर कांग्रेस पर भ्रष्टाचारियों के बचाव का आरोप लगा रही है।

1938 में लखनऊ में की गई थी शुरुआत

वहीं आपको बता दें कि नेशनल हेराल्ड नामक अखबार की शुरुआत साल 1938 में लखनऊ में की गई थी। इस अखबार का हिंदी अर्थ भारत का अग्रदूत था। शुरु शुरु में अखबार में ये लाइने लिखा हुआ करती थीं- 'Freedom is in Peril, Defend it with All Your Might' यानी स्वतंत्रता खतरे में हैं और हमें इसकी रक्षा करनी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इसके पहले संपादक थे। साल 1942 में अंग्रेजों ने इंडियन प्रेस पर हमला कर दिया था। जिस वजह से इस अखबार को बंद करना पड़ा। साल 1942 से लेकर 1945 तक अखबार का एक भी अंक प्रकाशित नहीं हुआ। साल 1945 के खत्म होते होते इस अखबार को एक बार फिर से शुरु करने की कोशिश की गई। नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब के राम राव हेराल्ड के संपादक पद पर बैठे। वहीं आखिर में बताते चलें कि ईडी ने इस मामले में पूछताछ के लिए सोनिया गांधी को 23 जून को बुलाया है। इससे पहले ईडी ने उन्हें 8 जून को बुलाया था, लेकिन वो कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं। बाद में उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है।