झिरनिया लिफ्ट इरिगेशन योजना में घोटाले की गूंज: किसानों की जमीन बर्बादी की कगार पर
झिरनिया लिफ्ट इरिगेशन योजना में भारी भ्रष्टाचार का खुलासा! गुप्ता एंड गुप्ता कंपनी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर खेतों में सतही पाइपलाइन बिछाई जा रही है, जिससे किसानों की जमीन बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। NVDA अधिकारी मौन, किसानों में उबाल। पढ़े पूरी न्यूज़ khabarbharatnews.live पर

झिरनिया लिफ्ट इरिगेशन योजना में घोटाले की गूंज: नियम ताक पर, किसानों की ज़मीन बर्बादी की कगार पर
गुप्ता एंड गुप्ता कंपनी ने किया किसानों के विश्वास के साथ छल, NVDA अधिकारी लापता!
@अजीत लाड़ (8120060200)
खंडवा | झिरनिया लिफ्ट इरिगेशन योजना—जिससे पंधाना विकासखंड के सैकड़ों किसानों की किस्मत बदलने की उम्मीद थी—अब भ्रष्टाचार और घोटाले की नजीर बनती जा रही है। NVDA (नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण) द्वारा इंदौर की गुप्ता एंड गुप्ता कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया करोड़ों का ठेका अब किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है।
(आदिवासी किसान भूरसिंग अपने खेत में छोटे पाइप के ऊपर डाला गया मोटा पाइप जो एक फिट गहराई पर ही डाला गया हैँ बताते हुए)
नियमों की खुली उड़ रही धज्जियाँ
इस योजना के तहत खेतों में पाइपलाइन डालने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन सरकारी गाइडलाइनों और तकनीकी मानकों को पूरी तरह दरकिनार किया गया है। किसानों का आरोप है कि पाइपों को निर्धारित गहराई से बहुत कम गहराई पर डाला जा रहा है, जिससे भविष्य में खेतों में जुताई और खेती करना मुश्किल हो जाएगा।
गोराड़िया गांव के किसान संजय जगदीश राठौर ने बताया कि उनके खेत में डाले गए 200 mm के पाइप केवल 1 फीट की गहराई पर डाले गए हैं, जबकि नियम के अनुसार 65 mm के सबसे छोटे पाइप को भी कम से कम 4 फीट (1.10 मीटर) की गहराई में डाला जाना चाहिए।
पेटी(किसान संजय जगदीश राठौर जूना बड़ोदा स्थित अपने खेत में ऊपर ही डाली गई मोटी पाइपलाइन दिखाते हुए, यह पाइप 1.2 मीटर की न्यूनतम गहराई पर होना चाहिए)
कांट्रेक्ट की आड़ में लूट
गुप्ता एंड गुप्ता कंपनी ने पूरे प्रोजेक्ट को स्थानीय पेटी कांट्रेक्टरों को सौंप दिया, जो बिना किसी गुणवत्ता नियंत्रण के काम कर रहे हैं। नतीजा यह है कि खेतों में पाइप ऊपर ही ऊपर दबाए जा रहे हैं और कहीं-कहीं तो रात के अंधेरे में कार्य कर किसान की आंखों में धूल झोंकी जा रही है।
जूना बड़ोदा के आदिवासी किसान भूरसिंह बालू ने बताया कि उनके खेत में 250 mm का पाइप मात्र 1 फीट की गहराई पर दबाया गया है और उसके नीचे 65 mm का पाइप और भी उथला पड़ा हुआ है। भूरसिंह का आरोप है कि जुताई के दौरान यह पाइप हल में उलझकर खेत को बर्बाद कर देंगे।
कंपनी और प्रशासन दोनों बेपरवाह
जब इस मामले पर गुप्ता एंड गुप्ता कंपनी के प्रोजेक्ट प्रतिनिधि प्रिंस ठाकुर से बात की गई, तो उन्होंने बेहद गैर-जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा, हमें नहर चालू कर पांच साल तक मेंटेनेंस करना है। जैसा हुआ है, देख लेंगे। जब उनसे कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर श्री भालसे का नंबर मांगा गया, तो उन्होंने टालमटोल करते हुए कहा कि "अभी उनका फैमिली मैटर चल रहा है, सब काम मैं ही देखता हूं।"
इस संदर्भ में जिम्मेदार NVDA के क्षेत्रीय प्रभारी संदीप शर्मा को भी दो बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल उठाना तक मुनासिब नहीं समझा। इससे स्पष्ट है कि पूरा तंत्र किसानों की समस्याओं से मुंह मोड़ रहा है।
किसानों में उबाल, कार्रवाई की मांग
मामले में संयुक्त कृषक संगठन के नरेंद्र पटेल सें बात करने पर उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाई गई, तो पाइपलाइन टूटने, खेतों के खराब होने और सिंचाई के पूरे सिस्टम के फेल होने का खतरा मंडरा रहा है। वे जल्द ही धरना-प्रदर्शन और न्यायिक कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं।
सरकार और प्रशासन क्या कर रहे हैं?
जहां एक ओर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने के वादे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी योजनाओं के नाम पर लूट, घोटाला और किसानों के खेतों की बर्बादी हो रही है।
अब सवाल यह है:
क्या NVDA इस मामले में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेगा?
क्या गुप्ता एंड गुप्ता कंपनी के ठेके की समीक्षा की जाएगी?
क्या किसानों को उनके नुकसान की भरपाई मिलेगी?
यदि इस पर त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह योजना एक और भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाएगी और इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा केवल मासूम किसानों को।
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