NDA ने द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार। जानिए कौन हैं मुर्मू

NDA ने द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार। जानिए कौन हैं मुर्मू

Presidential Election: एनडीए (NDA) ने तमाम अटकलों को विराम देते हुए अब अपने खेमे से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू के नाम का बड़ा ऐलान किया है। बता दें कि वो पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। आज ही विपक्ष द्वारा यशवंत सिन्हा का नाम निकलकर सामने आया था। जिसके बाद अब भाजपा ने भी अपने राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का ऐलान किया है। 

भाजपा प्रमुख ने किया ऐलान...

मालूम हो कि भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने मुर्मू के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि पहली बार किसी महिला आदिवासी प्रत्याशी को वरीयता दी गई है। हम आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के उम्मीदवार के रूप में घोषित करते हैं। 

राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी चेहरा...

भाजपा ने इस बार राष्ट्रपति पद के लिए एक आदिवासी चेहरे का चयन किया है। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र में एनडीए के घटक दल बीजू जनता दल ने भी द्रौपदी मुर्मू के नाम पर सहमति जताई है। अगर मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पहली बार एक महिला आदिवासी को प्राथमिकता दी जा रही है।

वहीं वजानकारों का कहना है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव को देखते हुए भाजपा आदिवासी समुदाय पर फोकस कर रही है। इसके अलावा यह एक अलग तरह का चयन है क्योंकि अब तक देश में कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बना। महिला आदिवासी अगर राष्ट्रपति बनती है तो भाजपा को चुनावी फायदा भी मिल सकता है।

जानिए कौन है द्रौपदी मुर्मू?...

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू 2000 झारखंड के गठन के बाद से पहली ऐसी राज्यपाल थीं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था। उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित बैदापोसी गाँव में हुआ था। वो संथाल जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। उनके पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है।

उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू के दो बेटे और एक बेटी हैं। उनका पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडू था। उनका जीवन त्रासदियों और संघर्षों से भरा हुआ है। उनके पति का निधन हो चुका है। उनके दोनों बेटे भी चल बसे। 2000 के दशक की शुरुआत में जब ओडिशा में बीजद-भाजपा ने मिल कर सरकार बनाई थी, तब उन्हें राज्य में कॉमर्स और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय मिला था। फिर उन्होंने मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग को सँभाला।

वो ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया। वो 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर ओडिशा के मयूरभंज स्थित रायरंगपुर से विधायक चुनी जा चुकी हैं। वो 1997 में वहाँ के नगर पंचायत की काउंसिलर भी रह चुकी हैं। भाजपा ने उन्हें अपने जनजातीय मोर्चे का अध्यक्ष बनाया था। 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।