Comment on the Prophet Controversy: पैगंबर विवाद में प्रदर्शन करना पड़ा भारी , कुवैत सरकार ने डिपोर्ट करने का दिया आदेश
कुवैत ने अपने देश में जुमेे की नमाज के बाद हुवे प्रदर्शन पर कड़ा फैसला लिया है। कुवैत सरकार ने इस मामले में दिशा निर्देश जारी किए गए है , जिसके अनुसार बयान को लेकर जिन्होंने प्रदर्शन किया था उन्हे उनके संबंधित मूल देश वापस भेज दिया जाएगा।इस मामले में भी प्रदर्शनकारियों को कुवैत में आगे के लिए भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अरब देशों के प्रवासियों के साथ ही भारतीय मुसलमान भी हो सकते है ।
Comment on the Prophet Controversy:
एशियाई महाद्वीप के देशों के रहने वाले प्रवासी जो कुवैत में रह कर नौकरी कर रहे थे और बीते शुक्रवार को कुवैत में पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर पर दिए गए कथित बयान मामले में प्रदर्शन कर रहे थे उन्हे गिरफ्तार कर ना केवल उनके देश वापस भेजने का फैसला किया गया है बल्कि उन सभी के फिर कभी भी कुवैत में प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। कुवैत में किसी भी प्रवासी के प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध है और वहां पर कानून का सख्ती से पालन कराया जाता है। इस मामले में भी प्रदर्शनकारियों को कुवैत में आगे के लिए भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।
भारतीय राजदूत को बुलाकर आपत्ति दर्ज करा चूका है
पैगंबर विवाद पर पहले ही भारतीय राजदूत को बुलाकर आपत्ति दर्ज कराने वाले देश कुवैत ने अपने देश में जुमेे की नमाज के बाद हुवे प्रदर्शन पर कड़ा फैसला लिया है। कुवैत सरकार ने इस मामले में दिशा निर्देश जारी किए गए है , जिसके अनुसार बयान को लेकर जिन्होंने प्रदर्शन किया था उन्हे उनके संबंधित मूल देश वापस भेज दिया जाएगा। सरकार ने कहा है की सभी प्रवासियों को कानून का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और अरब देशों के प्रवासियों के साथ ही भारतीय मुसलमान भी हो सकते है ।
कुवैत में विदेशियों के प्रदर्शन और आंदोलन गंभीर अपराध
इस मामले को लेकर समाचार एजेंसियों ने सूत्रों के हवाले से ये भी लिखा है कि प्रदर्शनकारी प्रवासियों को हमेशा के लिए कुवैत में घुसने से रोका जा सकता है। शुक्रवार 10 जून को जुमे की नमाज़ के बाद कुवैत के फ़हाहील क्षेत्र में 50 के लगभग प्रवासियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और नारेबाज़ी भी की थी।कुवैत के कानून के अनुसार कुवैत में विदेशियों के प्रदर्शन और आंदोलन करने को गंभीर अपराध माना जाता है। प्रशासन इस मामले को लेकर मिसाल भी पेश करना चाहता है ताकि भविष्य में प्रवासी इस तरह से क़ानून का उल्लंघन न कर पाएं। कुवैत सरकार उन स्थानीय लोगों पर भी उपयुक्त कार्रवाई कर सकती है जो इस धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
भारत से ऐतिहासिक संबंध हैं
कुवैत इस क्षेत्र में भारत के सबसे पुराने सहयोगी देशों में से है और यहाँ के शाही परिवार का भारत से ऐतिहासिक संबंध हैं। कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट की वजह से भारत में आई दूसरी लहर के दौरान कुवैत भारत को मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी कुवैत के शाही परिवार से अच्छे संबंध हैं।गत वर्ष भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर पीएम मोदी का संदेश लेकर कुवैत गए थे। इस दौरान उन्होंने यहाँ के प्रधानमंत्री सहित सभी शीर्ष अधिकारियों से मुलाक़ात की थी।
कुवैत से भारत के प्रदर्शनकरियोंऔर उन्हें संरक्षण दे रहे राजनैतिक दलों को सीखना चाहिए
जहां कुवैत में भारत के आंतरिक मामले पर प्रदर्शन करने पर प्रदर्शनकारियों को कठोर दण्ड से दंडित किया गया है वहीं भारत में लगातार कथित पैगंबर विवाद में हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे है पिछले कुछ शुक्रवार से लगातार जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से निकलने वाली भीड़ प्रदर्शन के नाम पर उग्र हिंसा कर रही है लगातार शुक्रवार हो रहे इन घटनाक्रमों को देखते हुवे सोसल मीडिया पर शुक्रवार का नया नाम पत्थरवार रखने की बात भी कही जाने लगी है। भारत के लोगों को कुवैत से सीखना चाहिए जहां नियम तोड़ने और प्रदर्शन करने पर विदेशियो को देश निकाला की सजा दी गई है। जबकि भारत में हिंसा भड़काने वाले दंगाइयों पर की जाने वाली कार्रवाई का भी कुछ राजनैतिक दल और कथित सांप्रदायिक संगठन विरोध कर उनके द्वारा किए गए उद्दंड को संरक्षित कर रहे है।