उप कृषि उपज मंडी गुड़ी खेड़ा की बदहाली — विधायक छाया मोरे के औचक निरीक्षण में उजागर हुई असलियत
पंधाना विधायक छाया मोरे के औचक निरीक्षण में उप कृषि उपज मंडी गुड़ी खेड़ा की बदहाली उजागर हुई। विधानसभा में प्रशासन ने सुविधाएं होने का दावा किया था, लेकिन मौके पर शासकीय तौल कांटा, पक्का रोड, पानी और शौचालय कुछ भी नहीं मिला। जर्जर भवन, बंद कैंटीन, खाद केंद्र और अव्यवस्था ने मंडी की वास्तविक स्थिति सामने रख दी।

खंडवा। पंधाना विधानसभा क्षेत्र की विधायक छाया गोविंद मोरे ने एक बार फिर किसानों के हक़ में आवाज़ बुलंद करते हुए प्रशासन की पोल खोल दी।
मंगलवार को किए गए औचक निरीक्षण में गुड़ी खेड़ा उप कृषि उपज मंडी की ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने न सिर्फ मंडी प्रशासन के दावों की सच्चाई उजागर कर दी, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या सत्ताधारी दल की विधायक के सवाल पर भी मंत्रालय तक को गुमराह किया जा सकता है?
विधानसभा में गूंजा मुद्दा — जवाब निकला भ्रामक
28 जुलाई 2025 को विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 627 के तहत विधायक मोरे ने किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग से गुड़ी खेड़ा उपमंडी की सुविधाओं पर सवाल पूछा था।
जवाब में विभागीय अधिकारियों ने दावा किया कि मंडी में सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हैं — शासकीय तौल कांटा, पक्का शेड, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था।
लेकिन हकीकत में, औचक निरीक्षण में पाया गया कि न तो शासकीय तौल कांटा है, न पक्का शेड, न पीने के पानी का इंतज़ाम और न शौचालय।
निरीक्षण में सामने आई भयावह तस्वीर
मीडिया को साथ लेकर मंडी परिसर का औचक निरिक्षण करते हुए विधायक मोरे ने दिखाया —
जगह-जगह फैली गंदगी
जर्जर भवन, जिनकी छत से सरिये लटक रहे हैं
वर्षों पहले बने किसान विश्राम भवन की टूटी-फूटी दीवारें, उखड़े दरवाजे-खिड़कियां और गिरने की कगार पर ढांचा
मंडी कैंटीन का ताला सालों से नहीं खुला
मार्केटिंग सोसायटी का नकद खाद विक्रय केंद्र भी बंद
मंडी परिसर में मवेशी और बकरियों का चरना आम बात
एक टिन शेड पर डीजे वाहन का कब्ज़ा
मंडी कार्यालय में पानी और शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं
विधायक मोरे का आरोप
"मंडी समिति ने विधानसभा को गुमराह किया है। यहां की हकीकत किसी से छिपी नहीं। यह किसानों के हक पर सीधी चोट है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"
विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा मामला
निरीक्षण से पहले ही विधायक मोरे ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर पूरी स्थिति बताई और दोषी अधिकारियों पर उच्चस्तरीय जांच तथा कठोर कार्रवाई की मांग की।
अध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि गुमराह करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
किसानों की पीड़ा — "कब तक यूं भटकते रहेंगे?"
स्थानीय किसान मुकेश गुर्जर ने बताया —
> "सालों से हम परेशान हैं। तौल कराने के लिए निजी कांटों पर जाना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों का नुकसान होता है। सरकार को जल्द से जल्द सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।"
किसानों का कहना है कि बदहाल मंडी के कारण व्यापारी यहां कारोबार करने से बचते हैं। सिर्फ प्रशासनिक दबाव और किसान संगठनों के हस्तक्षेप से सीमित खरीद होती है, बाकी सौदा निजी दुकानों पर होता है।
मीडिया की पड़ताल — सच हुआ उजागर
निरीक्षण के बाद मीडिया टीम ने भी पड़ताल की।
परिणाम चौंकाने वाले थे —
भवन की दीवारें चटक चुकी थीं
छत से सरिये झूल रहे थे, जो किसी भी वक्त गिर सकते थे
पक्के शेड आधे टूटे और अनुपयोगी थे
मंडी के भीतर सरकारी सुविधाएं कागजों में तो मौजूद थीं, लेकिन जमीन पर नदारद
किसानों की मांगें
1. शासकीय तौल कांटा तुरंत लगाया जाए
2. पक्का शेड, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था हो
3. किसान विश्राम भवन का पुनर्निर्माण किया जाए
4. मंडी के बाहर उपज की खरीद-फरोख्त पर रोक लगे
5. दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो
सरकार के पाले में गेंद
विधानसभा से लेकर औचक निरीक्षण तक, विधायक छाया मोरे के प्रयासों ने मंडी प्रशासन की लापरवाही और झूठ को उजागर कर दिया है।
अब सवाल यह है — सरकार कब तक किसानों को उनके हक की सुविधाएं मुहैया कराएगी, या फिर ये तस्वीरें भी फाइलों के अंधेरे में खो जाएंगी?