MP Local Election: किसकी होगी इस बार शहर सरकार - बुरहानपुर
मध्यप्रदेश के दक्षिण में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित है। कई विशाल द्वारों और सुसज्जित परकोटों से यह नगर घिरा हुआ है। इतना ही नहीं बुरहानपुर नगर मध्यकालीन इतिहास के महत्वपूर्ण मकबरों, मस्जिदों और ऐतिहासिक वस्तुओं से अटा पडा है। नगर के ह्रदयस्थल पर जामामस्जिद स्थित है और जिला मुख्यालय से 15 किमी दूरी पर स्थित असीरगढ़ किले को 'दक्खन का दरवाजा' नाम से जाना जाता था। इसके जीते बिना दक्षिण भारत में प्रवेश नामुमकिन था । बुरहानपुर की भव्यता आज भी दर्शनीय है।

खबर भारत पर हम स्थानीय निकाय चुनाव के बिच आपकी जानकारी के लिए लाये है एक सीरीज जिसमे आपको बताएँगे नगरीय निकाय वाले जिलों की प्रमुख जानकारियां । वहां क्या है किस राजनैतिक दल की स्थिति और कौन कौन है प्रत्यासी और उनका मतदाताओं पर क्या रहेगा असर तो बस पढ़ते रहिये हमारी वेबसाइट khabarbharatnews.live पर यह स्थानीय निकाय चुनाव सीरीज--------
आज बुरहानपुर
- बुरहानपुर की पृष्ठभूमि-
बुरहानपुर जिला 15 अगस्त 2003 को पूर्व निमाड़ यानि खण्डवा से अलग करके बनाया गया था। इसका मुख्यालय बुरहानपुर नगर है। बुरहानपुर नगर मध्यप्रदेश के दक्षिण में ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित है। कई विशाल द्वारों और सुसज्जित परकोटों से यह नगर घिरा हुआ है। इतना ही नहीं बुरहानपुर नगर मध्यकालीन इतिहास के महत्वपूर्ण मकबरों, मस्जिदों और ऐतिहासिक वस्तुओं से अटा पडा है। नगर के ह्रदयस्थल पर जामामस्जिद स्थित है और जिला मुख्यालय से 15 किमी दूरी पर स्थित असीरगढ़ किले को 'दक्खन का दरवाजा' नाम से जाना जाता था। इसके जीते बिना दक्षिण भारत में प्रवेश नामुमकिन था । बुरहानपुर की भव्यता आज भी दर्शनीय है।
संक्षिप्त जानकारी
कुल वार्ड: 48
महापौर पद के लिए 7 प्रत्याशी मैदान में।
शहर में कुल मतदाता: 1.77 लाख
पुरुष मतदाता: 88 हजार
महिला मतदाता: 89 हजार
अन्य मतदाता: 914
क्या है जातीय समीकरण
- बुरहानपुर शहर में 55 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता है।
- 28 हजार बनिया
- 30 हजार तेली गुजराती
- 6 हजार सिंधी
- 35 हजार अंसारी मुस्लिम और 50 हजार अन्य मुस्लिम मतदाता है।
- 14 हजार हरिजन समाज और 30-35 हजार कुनबी, माली समाज के मतदाता है।
- नगर निगम चुनाव में तकरीबन 1.26 लाख वोट डलते हैं। जो कुल मतदाता का करीब 70-72 फीसदी मतदान होता है।
इलेक्शन फैक्ट
- मुक़ाबला चतुष्कोणीय होने की संभावना, लेकिन मुख्य टक्कर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच। कुल सात प्रत्याशी है चुनावी मैदान में।
- कांग्रेस, एआईएमआईएम और निर्दलीय उमीदवार का मुस्लिम होने की वजह से मुस्लिम वोटों में बिखराव होने की संभावना।
- इस बार चुनाव में भाजपा से शहर में महापौर प्रत्याशी माधुरी अतुल, कांग्रेस से शहनाज इस्माइल अंसारी, आम आदमी पार्टी से प्रतिभा संतोष दीक्षित और
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से शाईस्ता सोहेल हाशमी प्रत्याशी है। इसके अलावा कुछ निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमा रहें हैं।
- मुस्लिम प्रत्याशियों की संख्या अधिक होने की वजह से हिन्दू वोट चुनाव में निर्णायक साबित होंगे।
कौन - कौन है प्रत्याशी
भाजपा- माधुरी अतुल पटेल
- भाजपा ने बुरहानपुर में माधुरी पटेल को टिकट दिया है।
- बीए पास हैं भाजपा प्रत्याशी माधुरी पटेल।
- बुरहानपुर नगर निगम पर बीते 15 सालों से भाजपा का कब्जा।
- महापौर रहते हुए 5 साल का कार्यकाल पूरा किया, विकास के कामों का दावा।
- माधुरी पटेल इससे पहले भी 2009-2014 में बुरहानपुर की मेयर रह चुकी हैं।
- माधुरी पटेल की हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय में साफ सुथरी और बेहतर छवि।
- पति अतुल पटेल भी पहले महापौर रह चुके हैं।
- माधुरी पटेल बीजेपी की पूर्व जिला उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
- पार्टी संगठन में भी अच्छा संपर्क और पकड़ है।
- शहर में किए गए विकास कार्यों के साथ आरएसएस के सहयोगी संगठनों के सहयोग और समर्थन को अपनी ताकत मान रही हैं।
भाजपा के लिए चुनौतियां
- शहर की विधानसभा सीट पर कांग्रेस समर्थित निर्दलीय का कब्जा होने से चुनाव में भाजपा की राह आसान नहीं होगी।
- बुरहानपुर नगर निगम में महापौर पद के लिए पटेल परिवार को तीसरी बार टिकट मिला है। ऐसे में परिवारवाद के नाम पर पार्टी में अंदरूनी विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है।
- पटेल परिवार ने पिछले दो चुनाव मामूली अंतर से ही जीते थे, जो एक चिंता का कारण है।
कांग्रेस - शहनाज अंसारी
- एक ही परिवार में तीसरी बार टिकट देकर कांग्रेस परिवारवाद को दे रही बढ़ावा।
- कांग्रेस ने जातिगत वोटों को दिया महत्व।
- 9वीं पास हैं कांग्रेस उम्मीदवार शहनाज अंसारी।
- कांग्रेस से तीन बार पार्षद रह चुकी हैं और पति सक्रिय कांग्रेस नेता।
- शहनाज अंसारी अरूण यादव गुट से भी है।
- 2009 में शहनाज अंसारी 4100 वोट से भाजपा की माधुरी पटेल से हारी थीं।
- 2.14 करोड़ की मालकिन हैं शहनाज अंसारी।
- अल्पसंख्यक वर्ग के वोटबैंक को देखकर कांग्रेस ने पूर्व में हारी हुई प्रत्याशी शहनाज अंसारी पर दांव लगाया है।
- कांग्रेस प्रत्याशी के पास खंडवा रोड पर गणपति नाका थाने के पास साढ़े 9 हजार स्केयर फीट जमीन है, जिसकी कीमत करीब 2 करोड़ है।
- 7 ताेला सोना और 2 बाइक की मालकिन।
- अल्प संख्यक वोटों के साथ कांग्रेस को निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के समर्थक वोटर्स का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।
कांग्रेस के लिए चुनौतियाँ
-अंसारी परिवार को महापौर के चुनाव में दो बार हार का मुंह देखना पड़ा है।
-बीजेपी के मुकाबले शहर में कांग्रेस का संगठन बहुत कमजोर है।
- कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में चौथे नंबर पर रही थी।
पिछले चुनावों का इतिहास
- बुरहानपुर से भाजपा लगातार 2005 से महापौर चुनाव जीतते आ रही है। 2005 में अतुल पटेल, 2010 में अतुल पटेल की पत्नी माधुरी पटेल और 2015 में अनिल भोंसले महापौर की कुर्सी पर आसीन हुए थे।
- 2009 के नगर पालिका चुनाव में शहनाज अंसारी को माधुरी पटेल के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में शहनाज अंसारी 4100 वोट से भाजपा की माधुरी पटेल से हारी थीं।
- 2015 में भी कांग्रेस ने इस्माइल अंसारी को टिकट दिया था और वह भाजपा के अनिल भोंसलें से 6500 वोटों से हारे थे।
अब देखना होगा सत्ता और संगठन के मजबूत जोड़ के साथ मैदान सम्हाल रही भाजपा प्रत्यासी मतदाताओं तक अपनी बात रखने में सफल होती हैं। जातिगत मतदाताओं के भरोसे चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस की प्रत्यासी अपने एजेंडे को मतदाताओं के जहन में उतार कर कांग्रेस प्रत्यासी नया कमाल दिखा पाएगी! फ़िलहाल नगर में प्रचार जोर पकड़ता नजर आ रहा हैं।