KARNATAKA TEXTBOOK CONTROVERSY: सिलेबस में बदलाव को लेकर कर्नाटक में बवाल क्यों? पढ़े क्या है पूरा मामला...
पाठयपुस्तक निर्धारण समिति (टेक्स्टबुक रिविजन कमेटी) का चेयरमैन गणित के अध्यापक को बनाए जाने पर आपत्ति जताई जा रही है। 23 मई को नई किताब सामने आने के बाद सरकार पर भगवाकरण के आरोप लगाए जाने लगे और पुरानी पाठयपुस्तक को वापस लाने की मांग की जाने लगी।
सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर कर्नाटक में विवाद हो रहा है। विपक्ष पुरानी पुस्तक को फिर से लागू करने की मांग की है। वहीं सरकार अपने फैसले पर अडिग दिखाई दे रही है।
बंगलुरू! कर्नाटक में कक्षा पहली से दसवीं तक की सामाजिक विज्ञान की किताब में पाठ्यक्रम परिवर्तन को लेकर बवाल मचा हुआ है। विपक्ष द्वारा राज्य की भाजपा शासित सरकार पर भगवाकरण करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। पाठयपुस्तक निर्धारण समिति (टेक्स्टबुक रिविजन कमेटी) का चेयरमैन गणित के अध्यापक को बनाए जाने पर आपत्ति जताई जा रही है। 23 मई को नई किताब सामने आने के बाद सरकार पर भगवाकरण के आरोप लगाए जाने लगे और पुरानी पाठयपुस्तक को वापस लाने की मांग की जाने लगी।
वामपंथी सोच और ब्राह्मण विरोधी विचारधारा
उधर बीजेपी सरकार में पाठयपुस्तक समिति के प्रमुख बनाए गए रोहित चक्रतीर्थ ने कहा कि पहले की किताब वामपंथी सोच और ब्राह्मण विरोधी विचारधारा की है। लिंगायत समुदाय के संस्थापक बासवन्ना को लेकर भी विवाद हो रहा है। राज्य में 17 फीसदी आबादी लिंगायतों की है। लिंगायत मठों ने सरकार को 10 दिन का अल्टिमेटम दिया है कि 9 वीं कक्षा की किताब में बासवन्ना के बारे में दिए गए अध्याय में परिवर्तन किए जाएं। फिलहाल सरकार विवादित चैप्टर में सुधार करने को तैयार है। आइए बताते हैं कि किन बातों को लेकर इस नई पाठयपुस्तक पर बवाल हो रहा है...
बासवन्ना अध्याय:
पहले की किताब में बासवन्ना को लिंगायत समुदाय का संत बताते हुए हिंदू कर्मकांड के खिलाफ विद्रोह कर जीवन जीने का नया तरीका बताने वाला आदि का उल्लेख किया गया था। वहीं नई किताब में केवल बासवन्ना को वीराशैव मान्यता में सुधार करने वाला बताया गया है। उनके बारे में कुछ ज्यादा नहीं बताया गया है।
आंबेडकर का चैप्टर हटाया गयाः
दलित नेताओं के अनुसार भारतीय संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के बारे में पाठय पुस्तकों से जानकारियों को हटा दिया गया है। उन्हें जाति व्यवस्था का विरोधी बताया गया था। लेकिन ये बातें नई किताब से गायब हैं। कांग्रेस विधायक प्रयिंक खड़गे ने आरोप लगाया की नई किताब में आंबेडकर को संविधान का निर्माता नहीं बताया गया। उनके जन्मस्थान और माता-पिता की जानकारी हटा दी गई। महर सत्याग्रह औऱ कलाराम मंदिर में उनके प्रवेश की घटनाओं को भी हटा दिया गया है।
पी लंकेश हटा हेडगेवार का चेप्टर लाया गयाः
कन्नड़ के बड़े लेखक पी लंकेश, सारा अबूबर और एएन मूर्ति राव के चैप्टर को हटाकर आरएसएस के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के निबंध और अन्य दक्षिण पंथी लेखकों के अध्याय को जोड़ा गया है।
भक्ती एवं सूफी संत के चैप्टर हटाये:
पुंदरादास, कनकदास एवं शिशुनाला शरीफ के बारे में विषय वस्तु नई पुस्तकों से हटा दी गई है। वहीं कक्षा सातवी की पुस्तक से अक्का महादेवी नामक 12वीं शताब्दी की कवयित्री का अध्याय भी हटा दिया गया है।
कक्षा छटवी की पुस्तक से भुवनेश्वरी देवी के हाथ में कन्नड़ झंडा पकड़ी तस्वीर हटाकर देवी के हाथ में भगवा झंडा वाली तस्वीर लगाई गई है। हालांकि विरोध के बाद कर्नाटक सरकार ने पुरानी तस्वीर को फिर से जगह देने का फैसला कर मामले में संतुलन बनाने का प्रयास किया है। बावजूद इसके विपक्षी दलों और अन्य संगठनों ने पाठक्रम परिवर्तन का जमकर विरोध शुरू कर दिया है।