खंडवा भाजपा जिला कार्यकारिणी विवाद: जातीय संतुलन बिगड़ा, रिश्तेदारों की ताजपोशी और गुर्जर समाज की उपेक्षा
खंडवा भाजपा जिला कार्यकारिणी सूची ने उठाए सवाल—जातीय असंतुलन, गुटबाज़ी, नेताओं के रिश्तेदारों को ताजपोशी और गुर्जर समाज की उपेक्षा पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा।

भाजपा जिला कार्यकारिणी: जातीय संतुलन बिगड़ा, गुटबाज़ी हावी — रिश्तेदारों की ताजपोशी पर उठे सवाल, गुर्जर समाज उपेक्षित
खंडवा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा गुरुवार को घोषित जिला कार्यकारिणी ने स्थानीय राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। सूची जारी होते ही संगठन विस्तार की बजाय गठजोड़, पारिवारिक हिस्सेदारी और जातीय असंतुलन पर सवालों की बौछार शुरू हो गई।
नेताओं के कोटे से पदों की बंटवारा राजनीति
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल के कोटे से उपाध्यक्ष सुखदेव पटेल (कुनबी), श्याम सिंह मौर्य (राजपूत) और कोषाध्यक्ष गणेश गुरबानी (सिंधी)।
खंडवा विधायक कंचन तनवे के कोटे से मात्र एक नाम — धर्मेन्द्र बजाज (महामंत्री)।
महापौर अमृता अमर यादव गुट से प्रियांशु चौरे (उपाध्यक्ष) और रोशनी गोलकर (मंत्री)।
मंत्री विजय शाह समर्थक संतोष सोनी (महामंत्री) और प्रीतम सिंह डोडवा (मंत्री)।
पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा खेमे से सुधांशु जैन (उपाध्यक्ष), आशीष राजपूत (कार्यालय मंत्री) और भरत पटेल (सह-कार्यालय मंत्री)।
जातीय प्रतिनिधित्व—कौन कितना?
राजपूत – 4 (श्याम सिंह मौर्य, सत्येन्द्र सिंह चौहान, प्रीतम सिंह डोडवा, आशीष राजपूत)
ब्राह्मण – 4 (प्रियांशु चौरे, इंदु दुबे, तपन डोंगरे, प्रशांत मिश्रा)
कुनबी – 3 (सुखदेव पटेल, लक्ष्मीबाई पटेल, भरत पटेल)
वैश्य – 2 (सुधांशु जैन, धर्मेन्द्र बजाज)
गुर्जर – 1 (नंदन करोड़ी)
OBC/अन्य पिछड़ा वर्ग – 1 (संतोष सोनी)
अजजा – 2 (सूरजपाल सोलंकी, रोशनी गोलकर)
साफ है—राजपूत और ब्राह्मण समाज को 4-4 पद, जबकि जिले और लोकसभा क्षेत्र में निर्णायक गुर्जर समाज को सिर्फ 1 नाम।
गुर्जर समाज की सबसे बड़ी उपेक्षा
मान्धाता विधायक नारायण पटेल और बड़वाह विधायक सचिन बिरला दोनों गुर्जर समाज से हैं।
जिले और लोकसभा क्षेत्र में गुर्जर समाज की संख्या निर्णायक है।
बावजूद इसके सिर्फ नंदन करोड़ी को जगह मिली।
चर्चा है कि उनकी नियुक्ति भी देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष रघुवीर पटेल गुर्जर और पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान के समर्थन पर हुई।
स्थानीय कार्यकर्ताओं का कटाक्ष: “जिले का सबसे मज़बूत समाज उपेक्षित और पराया कर दिया गया।”
नेताओं के रिश्तेदारों की ताजपोशी — कार्यकर्ताओं में गुस्सा
सूत्रों और जारी सूची से यह साफ है कि भाजपा ने इस बार परिवारवाद पर दोहरी नीति अपनाई है:
जिला कार्यकारिणी में सत्येंद्र सिंह चौहान को उपाध्यक्ष बनाया गया, जबकि वह भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा के दामाद हैं।
तपन डोंगरे (उपाध्यक्ष) को इंदौर महापौर पुष्य मित्र भार्गव का रिश्तेदार बताया जा रहा है।
जिला मंत्री प्रशांत मिश्रा इंदौर के विधायक गोलू शुक्ला के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।
यहाँ तक कि चर्चा है—कुछ नेताओं के बेटे-बेटियों को सूची जारी होने के बाद इस्तीफा दिलवाकर दिखावटी पारदर्शिता की गई, लेकिन उसी वक्त जयपाल सिंह चावड़ा के दामाद को उपाध्यक्ष बनाना सवालों को और गहरा कर गया।
सबसे बड़ा मुद्दा तो यह भी हैँ कि जिस पंधाना विधानसभा क्षेत्र से खुद राजपाल सिंह तोमर जिला अध्यक्ष हैं, उसी क्षेत्र से रिश्तेदार सत्येंद्र सिंह चौहान को भी उपाध्यक्ष बना देना पार्टी की नीयत और कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
पंधाना और मान्धाता की स्थिति
पंधाना विधायक छाया मोरे के हिस्से से सिर्फ लक्ष्मीबाई पटेल (मंत्री)।
मान्धाता विधायक के हिस्से से केवल सूरजपाल सिंह (महामंत्री)
नतीजा—समावेशी संगठन नहीं, गुटबाज़ी का खेल
कार्यकर्ताओं की अनदेखी।
जातीय संतुलन की बलि चढ़ी।
बड़े नेताओं के रिश्तेदारों और चहेतों को पद।
गुर्जर समाज जैसा निर्णायक वर्ग हाशिये पर।
भाजपा ने बार-बार दावा किया—“पार्टी में परिवारवाद नहीं, कार्यकर्ता सर्वोपरि।”
लेकिन खंडवा जिला कार्यकारिणी की यह सूची कह रही है:
यहाँ परिवार पहले, कार्यकर्ता बाद में।”
“गुर्जर समाज की संख्या और ताकत को नजरअंदाज कर दिया गया।”
“जो बड़ा नेता है, वही ताजपोशी का हकदार है।
यदि भाजपा ने इस असंतुलन और रिश्तेदारी की राजनीति को समय रहते नहीं सुधारा, तो यह सूची गुर्जर समाज की नाराज़गी, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और संगठन की खोखली पारदर्शिता का प्रतीक बनकर चुनावी मैदान में पार्टी के लिए सबसे बड़ा संकट साबित हो सकती है।