मुस्लिमों के बाद अब सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे संत, काशी धर्म परिषद की बैठक में फैसला
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद देश के कई शहरों में हुए उपद्रव (violence) को देखते हुए काशी धर्म परिषद की बैठक शुक्रवार को हुई। जिसमे फैसला लिया गया है देश को बचाने के लिए अब संत भी सड़क पर उतरेंगे।
देश के कई हिस्सों में शुक्रवार को जुमें की नमाज के बाद हुई हिंसा पर शुक्रवार को काशी धर्म परिषद ने बैठक कर मुस्लिमों द्वारा की जा रही अनावश्यक उपद्रव एवं हिंसा की निंदा करते हुए नाराजगी जतायी। उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकारों से मांग की है कि इस तरह की अराजकता करने वाले और उसके पीछे के साजिशकर्ताओं को चिह्नित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में काशी के मठों के पीठाधीश्वर, संत, महंत व सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में 16 प्रस्ताव पारित किए गये है।
बैठक में ये निर्णय लिया गया कि प्रस्ताव को सभी अखाड़ों, सभी पंथों के प्रमुखों के साथ सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने मांग की है कि कट्टरपंथियों के खिलाफ सरकार कड़ा कदम उठाए। पथराव व हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्ति व संस्थाओं पर लगाम लगा कर उन्हे प्रतिबंध के दायरे में लाया जाए। उनकी सम्पत्तिया जब्त की जाए। बैठक में संतो ने कहा कि हिंसा के पीछे की साजिश का पर्दाफाश जल्द होना चाहिए। हिंदू देवी-देवताओं पर पर अपमानजनक टिप्पणी करने, फिल्मों में मजाक बनाने वालों को तत्काल जेल भेजने के लिए कानून बनाने की मांग भी सरकार से की गई है। बैठक में रांची के हनुमान मंदिर में तोड़-फोड़ और हमले की भी निंदा की गई।
इसके साथ ही काशी धर्म परिषद की बैठक में मांग की गई है कि ज्ञानवापी पर सच बोलने वाले अफसर बाबा को स्थायी सुरक्षा दी जाये। अफसर बाबा के हमलावरों को गिरफ्तार कर रासुका लगे। काशी धर्म परिषद ने ऐलान किया है कि वो नुपुर शर्मा के साथ है और वो चाहते हैं कि उन्हें रेप की धमकी देने वालों पर रासुका लगे। काशी धर्म परिषद की बैठक में ये भी फैसला किया गया है कि इस मामले में जल्द ही संत, महात्माओं व नागा साधुओं की संयुक्त बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। देश को बचाने के लिए संत भी सड़क पर उतरेंगे। इसके अलावा संत समाज की शहर स्तर पर इकाई गठित की जाएगी, जिसमें सभी पंथों के लोग शामिल होंगे।