खंडवा को मिले इंदौर खंडपीठ का लाभ — विधायक छाया मोरे का प्रयास बना निमाड़ के लिए नई उम्मीद

खंडवा जिला न्यायालय को इंदौर खंडपीठ से जोड़ने की माँग अब राज्यपाल तक पहुँच चुकी है। विधायक छाया मोरे की ऐतिहासिक पहल से निमाड़ को न्याय मिलने का रास्ता खुल सकता है। जानिए इस विषय पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया।

खंडवा को मिले इंदौर खंडपीठ का लाभ — विधायक छाया मोरे का प्रयास बना निमाड़ के लिए नई उम्मीद

खंडवा | अजीत लाड़

खंडवा जिले और समूचे निमाड़ अंचल के लिए न्याय व्यवस्था को सरल, सुलभ और सस्ती बनाने की दिशा में विधायक श्रीमती छाया गोविंद मोरे ने एक ऐतिहासिक पहल की है। क्षेत्रीय जनता की सबसे बड़ी वर्षों पुरानी मांग — खंडवा जिला न्यायालय को इंदौर खंडपीठ से जोड़ने का मामला — अब राज्य की सबसे ऊंची संवैधानिक कुर्सी तक पहुंच चुका है।

विधायक मोरे ने 7 अगस्त 2025 को राज्यपाल महामहिम मंगू भाई पटेल से भेंट कर यह विषय व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि खंडवा और उससे लगे जिलों — विशेषकर बुरहानपुर — के आम नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के लिए 500 किलोमीटर दूर जबलपुर हाईकोर्ट जाना पड़ता है, जो कि समय, पैसा और ऊर्जा तीनों की भारी बर्बादी है।

राज्यपाल से हुई इस मुलाक़ात में विधायक ने मांग को संवेदनशीलता से रखा, जिस पर महामहिम ने उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया।

मुख्यमंत्री से मिला जवाब, हाईकोर्ट से भी स्थिति स्पष्ट

इस मुद्दे को विधायक द्वारा विधानसभा में प्रश्न रूप में भी उठाया गया था (प्रश्न क्रमांक 628, दिनांक 29/07/25), जिसके उत्तर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जो कि विधि और विधायी कार्य विभाग भी देखते हैं, ने जानकारी दी कि:

“भारत के संविधान के तहत उच्च न्यायालय की खंडपीठ की स्थापना अथवा क्षेत्राधिकार का पुनर्निर्धारण करने का अधिकार भारत के महामहिम राष्ट्रपति को प्राप्त है, जो राज्य के राज्यपाल एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुमोदन से निर्णय लेते हैं।”

यानी खंडवा को इंदौर खंडपीठ से जोड़ने की प्रक्रिया संभव है — बशर्ते इसे राज्य से लेकर केंद्र स्तर तक पूरी प्राथमिकता से आगे बढ़ाया जाए।

जबलपुर हाईकोर्ट से मिला विधिवत जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा विधि विभाग को भेजे गए मेमो (संख्या J.Diso.247/2025, दिनांक 16/07/2025) में साफ तौर पर कहा गया है कि वर्तमान में इस विषय पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश की सहमति प्राप्त होने पर इस पर कार्रवाई संभव है। इस पत्र में स्टेट्स रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1956 की धारा 51 का हवाला देते हुए पूरी प्रक्रिया की रूपरेखा भी दी गई है।

निमाड़ के लिए न्याय की दिशा में मील का पत्थर

विधायक छाया मोरे का यह कदम महज़ एक प्रशासनिक मांग नहीं है, बल्कि यह निमाड़ के लाखों लोगों की लंबे समय से चली आ रही उपेक्षा के विरुद्ध आवाज है। वर्षों से मांग की जाती रही है कि खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, बड़वानी जैसे जिलों को इंदौर खंडपीठ से जोड़ा जाए — ताकि जनसामान्य को समय पर न्याय मिल सके।

यदि यह मांग पूरी होती है, तो खंडवा को इंदौर से जोड़ने पर न्यायालयीन दूरी 130-200 किमी रह जाएगी, जो कि 500 किमी की जबलपुर दूरी की तुलना में बेहद राहतदायक होगी।

जनता से जुड़ी है यह लड़ाई

छाया मोरे का यह प्रयास राजनीतिक नहीं, जनहित से जुड़ा प्रयास है, जिसे न सिर्फ खंडवा बल्कि पूरे निमाड़ क्षेत्र में सराहना मिल रही है। वकील समुदाय, सामाजिक संगठन और व्यापारी वर्ग भी इस मांग का लंबे समय से समर्थन करते आए हैं। अब जबकि यह विषय राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है, उम्मीद की जा रही है कि इसे आगे केंद्र तक पहुँचाया जाएगा।

विधायक मोरे का संवेदनशील कदम

खंडवा को इंदौर खंडपीठ से जोड़ने की दिशा में छाया मोरे का यह कदम आने वाले समय में निमाड़ के न्यायिक भूगोल को बदल सकता है। यह मांग अब सिर्फ एक पत्र या विधानसभा प्रश्न नहीं रही, बल्कि जनता की ज़मीन से जुड़ी एक संवेदनशील और वैधानिक पहल बन गई है।

 प्रमुख बिंदु:

विधायक छाया मोरे ने राज्यपाल से मिलकर रखी वर्षों पुरानी मांग

मुख्यमंत्री और हाईकोर्ट ने दी प्रक्रिया की स्थिति की जानकारी

राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश की अनुमति से संभव होगा बदलाव

जनता को 500 किमी की जगह 130 किमी में मिलेगा हाईकोर्ट का लाभ

न्याय की दिशा में निमाड़ के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है यह प्रयास