केसर के नाम पर कैंसर! फिल्मी सितारों के सहारे झूठा प्रचार कर रही हैं गुटका कंपनियां – खंडवा में अधिवक्ताओं ने की शिकायत

खंडवा में अधिवक्ताओं ने विमल पान मसाला के “केसर युक्त” होने के झूठे दावे पर सवाल उठाते हुए जिला कलेक्टर को आवेदन सौंपा। फिल्मी सितारों द्वारा गुटखा प्रचार को जनहित में भ्रामक बताते हुए लैब जांच की मांग की गई है। पढ़े पूरी खबर....

केसर के नाम पर कैंसर! फिल्मी सितारों के सहारे झूठा प्रचार कर रही हैं गुटका कंपनियां – खंडवा में अधिवक्ताओं ने की शिकायत
खंडवा में अधिवक्ताओं ने जनसुनवाई में विमल पान मसाला के भ्रामक विज्ञापन में अभिनेताओं के द्वारा किये जा रहे दुष्प्रचार क़ो लेकर कलेक्टर क़ो शिकायती आवेदन दिया...

खंडवा। खबरभारत न्यूज़ डेस्क: 

“दाने-दाने में केसर का दम” कहकर मुंह में कैंसर भर रही है गुटका कंपनियां! फिल्मी सितारों को आगे कर गुमराह कर रही है आम जनता को। विमल पान मसाला जैसी कंपनियां अपने प्रोडक्ट को “केसर युक्त” बताकर खुलेआम झूठ का कारोबार कर रही हैं, जबकि सच्चाई यह है कि 5 रुपए में बिकने वाले पाउच में केसर होना व्यावहारिक और आर्थिक रूप से असंभव है।

गौरतलब है कि विमल पाउच बनाने वाली कंपनी ने बॉलीवुड के दिग्गज सितारों — अजय देवगन, शाहरुख खान, टाइगर श्रॉफ — को अपने प्रचार में शामिल किया है। इन अभिनेताओं के माध्यम से टीवी, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर यह दिखाया जा रहा है कि वे “केसर युक्त” पाउच का सेवन कर रहे हैं। यही नहीं, विमल के पाउच पर भी "केसर युक्त" बड़े-बड़े अक्षरों में छपा होता है, जो उपभोक्ताओं को भ्रमित करने की एक सोची-समझी रणनीति है।

जबकि असली केसर की कीमत भारतीय बाजार में लगभग 5 लाख रुपये प्रति किलो है — ऐसे में यह कल्पना भी नहीं की जा सकती कि ₹5 के एक पाउच में असली केसर डाला गया हो। मात्र ढाई ग्राम की सामग्री वाले इस पाउच में यदि केसर होता, तो कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ता। यह साफ है कि ‘केसर’ की जगह कुछ और मिलाकर आमजन को गुमराह किया जा रहा है।

जनहित में अधिवक्ताओं का बड़ा कदम

खंडवा के सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ताओं — देवेंद्र सिंह यादव, मोहन गंगराड़े, रजनीश सोनी, राहुल बिसेन, महेंद्र गंगराड़े, सुनील आर्य, अभिषेक मालाकार, नितिन खेरदे — ने इस झूठे प्रचार और जनहित के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए आज जिला कलेक्टर और खाद्य अधिकारी को एक आवेदन सौंपा। उन्होंने मांग की कि विमल पान मसाला और इसके साथ बिकने वाले जर्दे के पाउच की प्रामाणिक लैबोरेटरी में जांच करवाई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वास्तव में इन पाउचों में केसर है भी या नहीं।

उन्होंने विमल पाउच और जर्दा पाउच भी प्रमाण के रूप में अधिकारियों को सौंपे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह केवल स्वास्थ्य का ही नहीं, सामाजिक चेतना का भी प्रश्न है। युवाओं को बचाना होगा इस भ्रम और नशे से।

फिल्मी सितारों की जिम्मेदारी भी तय हो

वकीलों का यह भी कहना है कि करोड़ों लोगों के आदर्श फिल्मी सितारे जब गुटका उत्पादों का प्रचार करते हैं, तो समाज के युवा और किशोर भी उनकी देखा-देखी गुटखा सेवन की ओर आकर्षित होते हैं। यह एक गंभीर सामाजिक संकट है, जिसे रोकने के लिए न सिर्फ कंपनियों पर बल्कि इन सितारों पर भी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।

कैंसर के बढ़ते खतरे और गंदगी की समस्या

हर साल देश में मुंह के कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। गुटखा उत्पाद न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने की वजह से गंदगी का भी बड़ा कारण बनते हैं।

खंडवा से उठी यह आवाज अब पूरे देश में फैलने की उम्मीद की जा रही है।

सवाल बड़ा है — क्या “जुबां केसरी” कहकर झूठ बेचने वाली कंपनियों पर अब सख्ती होगी?

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यह रिपोर्ट ‘खबर भारत’ द्वारा जनहित और सामाजिक चेतना के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है।

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