संजय राउत की धमकी के बाद बागी विधायक के दफ्तर में तोड़फोड़ कर रहे शिव सैनिक
एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायक 58 वर्षीय तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ हुई है। साथ ही उनके कारोबार को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। घटना का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमे शिव सैनिक ऑफिस में बुरी तरह से तोड़फोड़ करते नजर आ रहे हैं।
Maharashtra political crisis: महाराष्ट्र में शिवसेना के अंदरूनी लड़ाई विधायकों से आगे बढ़ते हुए सड़क पर आती दिखाई दे रही है शिवसेना के अघोषित प्रवक्ता संजय रावत ने धमकी देते हुए शिवसेना के शिव सैनिकों को रोड पर उतरने के लिए प्रोत्साहित किया था उसके बाद ही शिव सैनिकों ने बागी गुट के विधायकों के कार्यालयों और परिवारों पर हमला बोलना शुरू कर दिया है कई स्थानों पर बागी विधायकों के कार्यालय एवं मकानों पर शिव सैनिकों ने तोड़फोड़ कर उत्पात मचाया है।
एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायक 58 वर्षीय तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ हुई है। साथ ही उनके कारोबार को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। घटना का एक वीडियो जारी हुआ है जिसमे शिव सैनिक ऑफिस में बुरी तरह से तोड़फोड़ करते नजर आ रहे हैं।
सावंत के कार्यालय पर की गई तोड़फोड़ के बाद महाराष्ट्र के पुणे, मुंबई सहित सभी स्थानों पर महाराष्ट्र पुलिस ने अलर्ट जारी किया है और शिवसेना के बागी नेताओं के कार्यालयों सहित परिवार की सुरक्षा बढ़ाई जाने की बात कही गई है। संजय राऊत ने बयान देकर कहा था कि अब शिवसैनिको के सब्र का बांध टूट रहा है शिवसैनिक सड़क पर उतरेंगे तो आग लग जायेगी। उन्होंने कहा था की तुम तो वहां दूसरे प्रदेश की निगरानी में 5 स्टार में बैठे हो परंतु उन बागियों के परिवारों की सुरक्षा का क्या होगा। इसके बाद ही राऊत के उकसावे पर शिवसैनिकों ने बागी विधायकों पर हमले शुरू कर दिए है।
इससे पहले एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल और पुलिस महानिदेशक महाराष्ट्र को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने 'दुर्भावनापूर्ण तरीके से 38 विधायकों के परिवार के सदस्यों की सुरक्षा वापस' लिए जाने की बात कही है। उन्होंने ट्वीट किया, 'सरकार उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
देखना होगा संजय राऊत के भड़काने के बाद शिवसैनिको द्वारा की जा रही हिंसा पर महाराष्ट्र पुलिस कब तक कार्रवाई कर पाएगी। और महाराष्ट्र में सरकार पर गहराई संकट के बाद कब तक महत्वपूर्ण फैसला होगा। सबसे बड़ा सवाल है की उद्धव ठाकरे की सरकार कितने समय तक इस स्थिति में चल पाएगी।